पहाड़ के 40 फीसदी मार्गों पर रोडवेज बस सेवा बंद, आज चरम पर डग्गामारी
उत्तराखंडवासियों की सेवा के लिए स्थापित परिवहन निगम पर्वतीय मार्गों पर रोडवेज बस सेवा देने में बेपरवाह है। पहाड़ में जिन मार्गों पर कभी रोडवेज को लाइफलाइन माना जाता था, वहां कई वर्षों से कोई बस नहीं गई। हालात ये हैं कि परिवहन निगम वॉल्वो बस की संख्या बढ़ाने में तो जुटा है, लेकिन पुराने पर्वतीय मार्गों पर बस चलाने को लेकर टालमटोल की नीति अपना रहा है। राज्य के नौ पर्वतीय जिलों में परिवहन निगम की करीब 40 प्रतिशत मार्गों पर बस सेवा बंद हो चुकी है। निगम हमेशा यहां बस संचालन को घाटे से जोड़कर देखता है। निगम का दावा है कि जिन मार्गों पर सवारियां कम होती हैं, वहां घाटे में रोडवेज नहीं चला सकते। पर्वतीय मार्गों पर बस सेवा न होने की वजह से या तो डग्गामारी का जलवा है या फिर निजी सवारी वाहन चल रहे हैं।
परिवहन निगम की मंशा पर सवाल खड़े
सवाल ये भी उठ रहा कि जिन मार्गों पर निजी सवारी वाहन चालक कमाई कर सकते हैं, तो परिवहन निगम क्यों नहीं कर सकता। न केवल गढ़वाल, बल्कि कुमाऊं में भी तमाम ऐसे मार्ग हैं, जिन पर निगम बस चलाने को तैयार नहीं। पहाड़ के लिए 20 अनुबंधित बस मंगाकर दो माह से उनका संचालन न करना भी परिवहन निगम की मंशा पर सवाल खड़े कर रहा है।
ऐसे तमाम मार्ग हैं, जहां उत्तर प्रदेश के समय से रोडवेज बस संचालन का परमिट हैं, लेकिन संचालन शून्य है। निगम के महाप्रबंधक संचालन एवं तकनीकी दीपक जैन का कहना है कि पहाड़ के लिए 100 नई बसों की खरीद प्रक्रिया चल रही है।