आरटीआई के दस्तावेजों से हुआ खुलासा विकास खंड विकासनगर सहसपुर तथा संपूर्ण उत्तराखंड में मनरेगा कार्यों में धांधली की आशंका

देहरादून -दिनांक 3 अप्रैल 2019 सहसपुर देहरादून., आरटीआई के दस्तावेजों से हुआ खुलासा विकास खंड विकासनगर सहसपुर तथा संपूर्ण उत्तराखंड में मनरेगा कार्यों में धांधली की आशंका ।

खुद दोषी अधिकारी से कराई गई जांच और जांच रिपोर्ट पर खंड विकास कार्यालय में नहीं हुई कोई कार्रवाई मुख्य विकास अधिकारी कार्यालय भी इस पर चुप है और भ्रष्टाचार चरम पर आरटीआई एक्टिविस्ट अमर सिंह कश्यप द्वारा वर्ष 2017 में विभिन्न ग्रामों में विकास खंड विकासनगर एवं सहसपुर में मनरेगा कार्यों के संबंध में सूचनाएं चाहे गई थी।

सूचनाएं प्राप्त होने के उपरांत पता लगा कि ग्रामसभा ढकरानी सभावाला ईस्ट होप टाउन माजरी तीपर पुर सहसपुर झाझरा रामपुर कला खुशहालपुर शंकरपुर शेरपुर केदारावाला सिंघनीवाला ढाकी छरबा टिमली आदि के मनरेगा तथा अन्य योजनाओं के कागज देख कर पता चलता है की वर्ष 2013 14 से वर्ष 2019 तक ग्राम ढकरानी में तथा रामपुर कला में कई कोरे कागजों तथा अधूरे भरे हुए कागजों पर भुगतान कराया गया है ।

जोकि भ्रष्टाचार का खुला उदाहरण है। विकासनगर की ग्राम पंचायत ढकरानी में लगभग सैंतालीस लाख के मनरेगा कार्य का भुगतान अधूरे भरे कागजों तथा कुछ भी ना भरे कागजों पर किया गया है। इसकी शिकायत दिनांक 5 मार्च 2018 को विकास खंड कार्यालय विकासनगर में दी गई।

जिस पर दो माह तक विकास खंड कार्यालय में कोई कार्यवाही नहीं की 7 जुलाई 2018 को विकासनगर तहसील दिवस में इसकी शिकायत की गई लेकिन उक्त शिकायत को भी प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा दबा दिया गया और कोई कार्यवाही।

इस प्रकरण पर अमल में नहीं लाई गई इसके उपरांत आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा मुख्य विकास अधिकारी को एक शिकायत प्रेषित कर 5 मई की खंड विकास अधिकारी कार्यालय में की गई शिकायत पर कार्य न करने वाले वीडियो पंचायत सेक्रेटरी मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी मनरेगा तथा ग्राम विकास अधिकारी को निलंबित करने की मांग की गई।

जिसमें 2 सदस्य कमेटी का गठन किया गया लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की गई और जांच उन्हीं के द्वारा कराई गई जो इसमें दोषी थे डीपीओ ने अपनी रिपोर्ट से प्रतीत होता है कि कार्यों को करते समय अधूरे कागजों पर भुगतान किया गया है। जिसमें कार्य पूर्ति नहीं भरी गई और आरटीआई के तहत अधूरे भरे हुए कागज जिन पर जगह-जगह ओवरराइटिंग तथा कई जगह हस्ताक्षर और मोहर नहीं थी पर बिना हस्ताक्षर किए कार्यों पर लगभग ₹4700000 का भुगतान हुआ था।

रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि वर्ष 2013 14 से 2019 तक कागजों पर हस्ताक्षर नहीं किए गए हैं या कराए जाने हैं यह रिपोर्ट स्वयं भ्रष्टाचार की पूरक है क्योंकि जिन अधिकारियों को हस्ताक्षरो की जांच करने के बाद पैसा जारी करना था। उनके द्वारा हस्ताक्षर के बिना ही पैसा जारी हो गया। अब योजना किस मद से बनाई गई ।

इस पर प्रश्न खड़ा होता है कि जब इस योजना में हस्ताक्षर हुए नहीं तो पैसा कैसे जारी हो गया। इस तरह का गोलमाल करने में विकासखंड सहसपुर और विकासनगर सबसे आगे हैं ।इसी तरह के कई मामले कालसी ब्लॉक तथा पूरे उत्तराखंड में देखे जा सकते हैं जिनका सोशल ऑडिट तथा सक्षम अधिकारी द्वारा जांच कराया जाना अत्यंत जरूरी और उचित होगा।

इस संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता अमर सिंह कश्यप द्वारा शीघ्र ही प्रमुख सचिव पंचायती राज तथा राज्य मनरेगा नियंत्रक इकाइयों तथा ऑडिट विभाग के समस्त अधिकारियों को इसकी शिकायत कर पूरे उत्तराखंड राज्य में मनरेगा में की गई ।

धांधली की जांच करने की मांग की जाएगी तथा मनरेगा में भ्रष्टाचार करने वाले समस्त कर्मचारी अधिकारियों तथा दोषियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर उनकी सेवा समाप्त करने की मांग की जाएगी और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भी दंडात्मक कार्यवाही कराने की मांग की जाएगी।

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