ग्रामीण आजीविका मिशन से महिला सशक्तीकरण को नई गति, पांच लाख से अधिक महिलाओं को मिला रोजगार

उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश के 13 जिलों के 95 ब्लॉकों में महिला सशक्तीकरण को नई दिशा मिली है। इस मिशन के माध्यम से करीब पांच लाख महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनी हैं। खासतौर पर सुदूर क्षेत्रों की महिलाएं स्वरोजगार के जरिये अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही हैं।

टिहरी जिले के कीर्तिनगर ब्लॉक की रंजना रावत ने पहले छोटे स्तर पर अचार और पापड़ बनाने का काम किया, लेकिन मिशन से जुड़ने के बाद खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को विस्तार दिया। आज उनका उत्पादन क्विंटल में पहुंच चुका है। उनके इस प्रयास को पहचान मिली और उन्हें नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन में प्रतिभाग करने का अवसर मिला।

उत्तरकाशी जिले की शशि घिड़ियाल के पति की कोरोना काल में दुकान बंद हो गई थी। उन्होंने पहले राशन की दुकान खोली, फिर दोना-पत्तल निर्माण का काम शुरू किया। अब वे अपने व्यवसाय का विस्तार कर रही हैं और मनरेगा के तहत अन्य महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।

पौड़ी गढ़वाल की साधना ने ग्राम प्रधान बनने के बाद आजीविका मिशन से जुड़ने का फैसला लिया। उन्होंने फूड प्रोसेसिंग का प्रशिक्षण लेकर अचार, हल्दी, अदरक और मोटे अनाज का उत्पादन शुरू किया। आज उनकी पहल से 10 से अधिक महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं।

नर्वदा रावत, जो तीलू रौतेली पुरस्कार समेत कई सम्मान प्राप्त कर चुकी हैं, ने 2005 में हस्तशिल्प और हथकरघा का प्रशिक्षण लिया। अब तक वे 25-25 महिलाओं के अलग-अलग समूहों को प्रशिक्षित कर चुकी हैं, जिससे कई महिलाओं को रोजगार मिला है।

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मिशन से लाखों महिलाओं को मिला संबल

राज्य परियोजना प्रबंधक मेहजबी कुरैशी के अनुसार, मिशन के तहत अब तक 66,672 स्वयं सहायता समूह बनाए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से 4.90 लाख ग्रामीण परिवारों की महिलाएं संगठित और आत्मनिर्भर बनी हैं। इस पहल का उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना और आजीविका में सुधार लाना है।

Saurabh Negi

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