विकसित भारत 2047 की तैयारी: जिलों को वैश्विक स्तर पर लाने का दावा, पर जमीन पर तैयारी कितनी मजबूत?

देहरादून, 27 मई 2025: मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन की अध्यक्षता में सचिवालय में सचिव समिति की बैठक आयोजित हुई। बैठक में सभी जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत 2047” दृष्टिकोण के तहत मुख्य सचिव ने कहा कि प्रत्येक जनपद को अगले 10 वर्षों के लिए अपना विकास प्लान तैयार करना होगा, और एक स्थान को वैश्विक मानकों पर विकसित करने की योजना भी बनाई जाए।
हालांकि, अधिकारियों की ये योजनाएं कागज़ों पर प्रभावशाली ज़रूर लगती हैं, लेकिन राज्य के ज़मीनी हालात और मौजूदा ढांचागत सीमाएं इन दावों पर सवाल खड़े करती हैं। बीते वर्षों में कई योजनाएं शुरू तो हुईं, परंतु उनकी प्रगति और पारदर्शिता पर अक्सर आलोचना होती रही है।
मुख्य सचिव ने उद्योग विभाग को राज्य के स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने और निर्यात बढ़ाने के निर्देश दिए, लेकिन आज भी कई जिलों में मूलभूत उद्योगिक आधारभूत संरचना का अभाव है।
बैठक में तकनीकी विकास, इलेक्ट्रिक व्हीकल सेक्टर को बढ़ावा देने, वैदिक गणित के प्रचार, पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण, और स्टेट कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पॉन्स टीम (CERT) के गठन जैसे प्रस्ताव रखे गए। ये सभी विषय महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बिना ठोस क्रियान्वयन तंत्र और बजट आवंटन के, यह केवल विचारों तक सीमित न रह जाए—यह चिंता बनी हुई है।
मुख्य सचिव ने पर्यावरण दिवस (5 जून) पर ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान को वृहद स्तर पर आयोजित करने की बात कही, जिसकी जिम्मेदारी प्रमुख सचिव वन आर.के. सुधांशु को सौंपी गई। सवाल यह भी उठता है कि क्या यह केवल एकदिवसीय प्रतीकात्मक आयोजन बनकर रह जाएगा या इसके प्रभाव को लंबे समय तक सुनिश्चित किया जाएगा।
बैठक में प्रमुख सचिवों सहित सभी वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, पर यह देखना बाकी है कि इन उच्चस्तरीय चर्चाओं का जमीनी असर कितना ठोस होता है।