आपदा प्रभावित साहस्रधारा की महिलायें बना रहीं हैं देहरादून में मोमबत्तियाँ

आपदा प्रभावित साहस्रधारा की महिलायें बना रहीं हैं देहरादून में मोमबत्तियाँ

देहरादून — आपदा से जूझ चुकी साहस्रधारा क्षेत्र की महिलाएँ इस बार देहरादून की दीवाली को अपने हाथों से बनाए स्वदेशी दीयों और मोमबत्तियों से रोशन करेंगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से शुरू हुए “वोकल फॉर लोकल” अभियान के तहत दुर्गा और लक्ष्मी स्वयं सहायता समूहों (SHGs) की महिलाओं ने 1,000 से अधिक मोमबत्ती पैकेट तैयार किए हैं, जिससे स्थानीय रोजगार और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिल रहा है।

सिर्फ एक माह पहले तक भारी वर्षा और भूस्खलन से अंधेरे में डूबे इस क्षेत्र की महिलाएँ अब अपने परिश्रम से पूरे शहर को रौशन करने जा रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) की सहायता से 10 महिलाओं ने मोमबत्ती निर्माण और उद्यमिता का प्रशिक्षण लिया और त्योहारी सीजन से पहले उत्पादन शुरू किया।

प्रत्येक पैकेट में 6 से 8 सजावटी मोमबत्तियाँ होती हैं, जिनकी कीमत ₹15 से ₹35 प्रति पीस तक रखी गई है। महिलाओं को निर्माण लागत के लिए ₹1.5 लाख की कैश क्रेडिट लिमिट (7% ब्याज), ₹75,000 की कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड (1% ब्याज) और ₹10,000 का रिवॉल्विंग फंड प्रदान किया गया है।

दुर्गा समूह की अध्यक्ष कौशल्या नेगी के अनुसार, अब तक इन समूहों ने ₹1.5 लाख से अधिक की आमदनी अर्जित की है। उन्होंने बताया कि उत्पादन के साथ महिलाओं को डिजिटल बैंकिंग, ग्राहक प्रबंधन और व्यवसाय संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया है।

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मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बताया कि देहरादून जिले के अन्य स्वयं सहायता समूह भी इस दीवाली पर मिट्टी के दीये और सजावटी उत्पाद बना रहे हैं, जिनकी बाजार में भारी मांग है। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी आत्मनिर्भर बना रही है।

Saurabh Negi

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