अमेरिका से लौटकर बनीं सरपंच भक्तिशर्मा

अमेरिका से लौटकर बनीं सरपंच भक्तिशर्मा

भोपाल। गांव में सरकारी योजनाओं का अमल कैसे किया जाता है, मध्य प्रदेश की बरखेड़ी अब्दुल्ला ग्राम पंचायत की युवा सरपंच भक्तिशर्मा यह बात दुनिया को बताएंगी। सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम से उन्हें बुलावा आया। रूस के इस शहर में यह सम्मेलन चल रहा है। अमेरिका में नौकरी छोड़ गांव की सरपंच बनीं भक्ति आज देश की 100 प्रभावशाली महिलाओं में शामिल हैं। गांव में सरकारी योजनाओं का अमल कैसे होता है, इसकी शानदार नजीर भक्ति ने पेश की है। भोपाल के पास बरखेड़ी अब्दुल्ला पंचायत आज मिसाल बन चुकी है।

भक्तिकी पंचायत में करीब-करीब हर पात्र व्यक्तितक उससे संबंधित योजना पहुंची है। ग्रामीण इलाकों में सरकारी योजनाओं के इस क्रियान्वयन से प्रभावित होकर ही इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम ने उन्हें आमंत्रित किया। रूस रवाना होने से पहले भक्ति ने बताया कि वे फोरम में बताएंगी कि किस तरह सरकारी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कर ग्रामीण विकास को अपेक्षित गति दी जा सकती है और सतत विकास लक्ष्य-2030 (सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स-2030) की दिशा में लक्षित सफलता पाई जा सकती है। 6-8 जून के बीच होने जा रहे इस सम्मेलन में भक्ति 120 देशों के प्रतिनिधियों के सामने अपनी बात रखेंगी और अपनी पंचायत की

विकास यात्रा से सभी को परिचित कराएंगी।

गौरतलब है कि 2015-16 में भक्तिशर्मा अमेरिका से नौकरी छोड़कर भारत लौटी थीं और पिता के कहने पर अपनी ग्राम पंचायत में सरपंच का चुनाव जीता था। कुछ समय पहले उन्हें भारत की 100 सबसे प्रभावशाली व लोकप्रिय महिलाओं की सूची में भी शामिल किया गया। भक्ति ने गांव में नारी सशक्तीकरण की नई धारा बहा दी। जात- पात पर भी प्रहार किया और भ्रष्ट सरकारी तंत्र का भी डटकर सामना किया।

भक्ति ने नईदुनिया से कहा, मेरी पंचायत के हर घर में शौचालय है और पंचायत खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुकी है। हर पात्र परिवार के पास राशनकार्ड है और उसे बिना किसी बाधा राशन मिल रहा है। पंचायत में कुपोषण का नामोनिशान नहीं है। आवास योजना के तहत 200 पात्र परिवारों के पक्के मकान बन चुके हैं। सभी के पास बिजली कनेक्शन है। गांवों में स्ट्रीट लाइट व्यवस्था है। पानी की टंकी और पेयजल सप्लाई है। इसके साथ ही पंचायत में आयुष ग्राम योजना को भी लागू करने की कोशिश कर रही हूं…। सेंट पीटर्सबर्ग इकोनॉमिक फोरम की बात करें तो 1997 से यह सम्मेलन हर साल होता है। 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस सम्मेलन में गए थे।

बेटी होने पर देती हैं दो माह की तनख्वाहभक्ति शर्मा केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं से इतर अपनी पंचायत के लिए अपने स्तर पर भी एक योजना चला रही हैं। बरखेड़ी अब्दुल्ला पंचायत में यदि किसी घर में बेटी होती है तो बेटी की मां को भक्तिशर्मा सरपंच के रूप में मिलने वाली अपनी दो महीने की तनख्वाह उपहार में देती हैं। इसके साथ ही बेटी के जन्म पर पंचायत क्षेत्र में दस पेड़ लगाए जाते हैं।

बेबाक बोल, बिंदास अंदाजभोपाल के नूतन कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए करने वाली भक्ति शर्मा सरकारी योजनाओं के तहत पंचायत में काम करने के लिए विभाग के सचिव से लेकर राज्य और केंद्रीय मंत्रियों तक से बेहिचक मिलती हैं। कहती हैं, मैं हर योजना का बारीकी से अध्ययन करती हूं। लिहाजा, कोई भी गैर जरूरी अड़चन आए तो इसे दूर करना भी मुझे आता है।

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