सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल प्रबंधन की अनूठी पहल, नए छात्रों को मिलेगी पिछली कक्षा के छात्रों की किताबें अभिभावकों ने किया स्कूल प्रबंधन की पहल का स्वागत, कहा आर्थिक बोझ होगा कम

सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल प्रबंधन की अनूठी पहल, नए छात्रों को मिलेगी पिछली कक्षा के छात्रों की किताबें अभिभावकों ने किया स्कूल प्रबंधन की पहल का स्वागत, कहा आर्थिक बोझ होगा कम

देहरादून। सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को नई कक्षाओं में जाने के बाद अब किताबें नहीं खरीदनी होगी। स्कूल प्रबंधन ने अनूठी पहल करते हुए सभी छात्र-छात्राओं को अपनी किताबें जमा कराने के निर्देश दिए हैं। यह किताबें पिछली कक्षा से उत्तीर्ण होकर आए नए छात्रों को वितरित की जाएगी।

इससे अभिभावकों को नई किताबें खरीदने की जरूरत नहीं पड़ेगी । अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन की इस पहल का स्वागत किया है।
मंगलवार को हुई शिक्षक अभिभावक संघ की बैठक में स्कूल के प्रबंध निदेशक विपिन बलूनी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि हर साल अभिभावक हजारों रुपए की किताबें खरीदते हैं। बच्चे के दूसरी कक्षा में जाते ही वह किताबें बेकार हो जाती हैं। कई निजी स्कूल अभिभावकों पर दबाव बनाकर नई किताबें लाने के लिए मजबूर करते हैं। इससे अभिभावकों पर अनावश्यक आर्थिक बोझ भी पड़ता है। स्कूल प्रबंधन ने अभिभावकों को राहत देने के इरादे से यह योजना तैयार की है।

प्रत्येक कक्षा के बच्चे अपनी किताबें स्कूल में जमा करवा देंगे, जिन्हें नए आने वाले बच्चों को वितरित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे जहां अभिभावकों पर आर्थिक बोझ कम होगा वहीं बच्चों में भी एक-दूसरे का सहयोग करने की भावना विकसित होगी।

अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन की इस पहल का स्वागत किया है। अभिभावक बबीता जोशी ने बताया कि उनके दो बच्चे सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे हैं। पिछले वर्षों तक प्रत्येक बच्चे की किताब पर सालाना पांच से सात हजार रुपए का खर्च आता था।

स्कूल में यह योजना शुरू होने से उनका यह खर्च बच जाएगा।
मोहम्मद नूर ने बताया कि पिछले साल उन्होंने अपने 2 बच्चों का प्रवेश एसबीपीएस में कराया था। विद्यालय में शुरू से एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू होने के चलते काफी कम कीमत की किताबें मिलती थी। अब स्कूल की इस पहल के बाद अभिभावकों को और भी ज्यादा राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि अभिभावक इससे बच्चों के लिए दूसरी उपयोगी किताबें खरीद सकेंगे।

सबसे अलग है एसबीपीएस एक तरफ जहाँ राजधानी के कई निजी विद्यालय अभिभावकों पर एक के बाद एक आर्थिक बोझ डाल रहे हैं, वहाँ एसबीपीएस उन्हें राहत देने का काम कर रहा है। उत्तराखण्ड में गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी पढ़ाने वाला पहला विद्यालय होने के साथ ही एसबीपीएस का नाम सहायक शैक्षणिक गतिविधियों में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए भी जाना जाता है।

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