छात्रवृत्ति घोटाला (2017) : ईडी ने गीताराम नौटियाल समेत आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

छात्रवृत्ति घोटाला (2017) : ईडी ने गीताराम नौटियाल समेत आठ के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छात्रवृत्ति घोटाले में कार्रवाई करते हुए समाज कल्याण विभाग के वरिष्ठ अधिकारी गीताराम नौटियाल और अनुराग शंखधर समेत आठ लोगों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है। इसमें एक शिक्षण संस्थान के तीन पदाधिकारी भी शामिल हैं। चार्जशीट में सभी आरोपियों पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगाया गया है। स्पेशल कोर्ट ED की इस चार्जशीट पर आगामी 30 अगस्त को संज्ञान लेगा।

छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा वर्ष 2017 में हुआ था। यह घोटाला करोड़ों रुपये का था, जिसमें विभिन्न शिक्षण संस्थानों और सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई। इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए वर्ष 2019 में एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) का गठन किया गया। एसआईटी ने हरिद्वार और देहरादून में कई शिक्षण संस्थानों और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ 100 से अधिक मुकदमे दर्ज किए।

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एसआईटी की जांच के साथ ही, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी इस मामले में संज्ञान लिया और वर्ष 2022 से घोटाले में शामिल शिक्षण संस्थानों, पदाधिकारियों और सरकारी अधिकारियों को नोटिस भेजना शुरू किया। ED ने आरोपियों से कई बार पूछताछ की और इस दौरान कई शिक्षण संस्थानों की करोड़ों रुपये की संपत्तियों को भी अटैच कर लिया।

छात्रवृत्ति घोटाला उजागर होने के सात साल बाद (करीब दो से ढाई साल की ED की जांच के बाद), ED ने पहले दौर की चार्जशीट स्पेशल कोर्ट में दाखिल की है। चार्जशीट में वली ग्रामोद्योग विकास संस्थान ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन के अध्यक्ष प्रदीप अग्रवाल, सचिव संजय बंसल, कोषाध्यक्ष नरुद्दीन गाजी, तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर, गीताराम नौटियाल, सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोमप्रकाश, मुनेश कुमार, और विनोद कुमार नैथानी को आरोपी बनाया गया है। इन सभी पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 (पीएमएलए) के तहत चार्जशीट दाखिल की गई है।

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 100 करोड़ रुपये से अधिक का है छात्रवृत्ति घोटाला

एसआईटी की जांच में यह सामने आया कि इस घोटाले की राशि 100 करोड़ रुपये से भी अधिक थी। घोटाले में शामिल अधिकारियों और अन्य लोगों ने बचने की काफी कोशिशें की, लेकिन हाईकोर्ट के सख्त रुख के बाद घोटाले की परतें खुलती चली गईं। एसआईटी की जांच में पता चला कि जो एससी-एसटी के छात्र कभी शिक्षण संस्थान पहुंचे ही नहीं, उनके नाम पर करोड़ों की छात्रवृत्ति की बंदरबांट की गई।

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