देहरादून में “स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024” का आयोजन, भविष्य की शिक्षा पर जोर

देहरादून में “स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024” का आयोजन, भविष्य की शिक्षा पर जोर

एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन ने देहरादून में “स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024” का आयोजन किया, जहां 100 से अधिक स्कूल लीडरों ने भाग लिया और शिक्षा के भविष्य को लेकर विचार-विमर्श किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तकनीक के बढ़ते उपयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया, ताकि आने वाले समय में स्कूलों को बेहतर ढंग से तैयार किया जा सके।

स्कूल्स ऑफ़ टुमॉरो कॉन्क्लेव 2024  2 इस कॉन्क्लेव में दून स्कूल के हेडमास्टर डॉ. जगप्रीत सिंह ने मुख्य वक्ता के रूप में भाग लिया। उन्होंने अपने संबोधन में तकनीक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “तकनीक को पारंपरिक शैक्षणिक संस्थानों में शामिल करना अब आवश्यक हो गया है। दून स्कूल जैसे संस्थानों में तकनीक का समावेश शैक्षिक गुणवत्ता को और भी मजबूत करेगा और इसे वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगा।”

कॉनक्लेव में अन्य लोगों ने भी अपने विचार साझा किए:

  • रौनक जैन, वाइस चेयरमैन, टुला इंटरनेशनल स्कूल, ने भविष्य की शिक्षा के लिए नए और नवाचारी समाधानों पर चर्चा की।
  • कमल आहूजा, डिप्टी हेडमास्टर, दून स्कूल, ने शिक्षा में नेतृत्व को प्रोत्साहित करने के लिए पाठ्यक्रम के पुनर्निर्माण पर जोर दिया।
  • एच.एस. मान, निदेशक, दून इंटरनेशनल स्कूल, ने व्यक्तिगत शिक्षा में एडटेक की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।
  • दिव्या द्विवेदी, प्रिंसिपल, नियोटेरिक वर्ल्ड स्कूल, ने डिजिटल लर्निंग इकोसिस्टम को पूर्ण रूप से अपनाने की वकालत की।
  • डॉ. अरविंदनाभ शुक्ला, प्रिंसिपल, श्री राम सेंटेनियल स्कूल, ने शिक्षा में विभिन्न विषयों के एकीकरण पर अपने विचार व्यक्त किए।
  • अंजन कुमार चौधरी, डीन एकेडमिक्स, दून स्कूल, ने संचार और समृद्ध शैक्षिक वातावरण के महत्व पर जोर दिया।

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एक्स्ट्रामार्क्स एजुकेशन की चीफ बिजनेस ऑफिसर, पूनम सिंह जमवाल, ने व्यक्तिगत शिक्षा के महत्व को रेखांकित किया और बताया कि कैसे तकनीक के माध्यम से शिक्षकों को सशक्त किया जा सकता है, ताकि वे छात्रों की अवधारणात्मक समझ और समस्या-समाधान की क्षमता को बढ़ा सकें। कॉनक्लेव का उद्देश्य आधुनिक दुनिया की आवश्यकताओं के अनुरूप शिक्षा प्रणाली को अनुकूलित करना था, जिसमें विशेष रूप से व्यक्तिगत शिक्षा, तकनीक का प्रभाव, और शिक्षकों व छात्रों के निरंतर विकास पर जोर दिया गया।

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