कौन हैं राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान देहरादून से SAI गांधीनगर तक पहुंचने वाली पहली पैरा एथलीट

देहरादून – मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले की रहने वाली शांति बाई झरिया ने पैरा एथलेटिक्स में एक नया मुकाम हासिल किया है। वह राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून से भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI) सेंटर, गांधीनगर (गुजरात) तक पहुंचने वाली पहली पैरा एथलीट बन गई हैं।
शांति ने हाल ही में बेंगलुरु में आयोजित 17वीं राष्ट्रीय जूनियर/सब-जूनियर पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए 1500 मीटर दौड़ में सिल्वर और 400 मीटर दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। उनका 1500 मीटर में पर्सनल बेस्ट समय 6 मिनट 21 सेकंड है।
संघर्षों से बनी राह
1 मई 2007 को जन्मी शांति बाई झरिया डिंडोरी (मध्यप्रदेश) के एक सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता सुरेश कुमार और माता शिबरी बाई हैं। परिवार में तीन बहनें और एक छोटा भाई है। शांति ने अपनी पढ़ाई मॉडल स्कूल, नीदेड, देहरादून से 2025 में 12वीं तक पूरी की। शांति पिछले चार वर्षों से कोच नरेश सिंह नयाल के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग कर रही थीं। अब वह कोच नरेश शर्मा के साथ SAI गांधीनगर में अपनी अगली स्तर की ट्रेनिंग शुरू कर चुकी हैं। फिलहाल वे स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में नियमित अभ्यास कर रही हैं।
शांति के कोच और साथी खिलाड़ी उन्हें एक मेहनती, अनुशासित और लगनशील एथलीट मानते हैं। उनका सपना है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करें और पैरा एथलेटिक्स में देश के लिए पदक जीतें शांति झरिया का यह सफर केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि उन सैकड़ों दिव्यांग बेटियों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पंख देने का साहस रखती हैं।