शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत का सावधानीपूर्ण रुख

शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत का सावधानीपूर्ण रुख

भारत ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग पर तत्काल प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया है। 2016 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुई प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत भारत के पास इस अनुरोध को खारिज करने के वैध कारण मौजूद हैं। इस संधि के अनुसार, यदि आरोप राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित हैं, तो प्रत्यर्पण का अनुरोध अस्वीकार किया जा सकता है।

भारत का मानना है कि वर्तमान परिस्थितियों में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के प्रयास व्यर्थ हो सकते हैं। सरकारी सूत्रों ने बताया कि हसीना के खिलाफ बांग्लादेश में मानवता विरोधी अपराधों और जनसंहार के मामले में जारी वारंट का आधार राजनीतिक माना जा सकता है। ऐसे में भारत इसे प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत खारिज कर सकता है।

प्रत्यर्पण संधि में अनुरोध के अनुपालन के लिए कोई निश्चित समय सीमा का उल्लेख नहीं है। इसलिए, भारत इस मामले को लंबे समय तक लंबित रख सकता है। सूत्रों के अनुसार, तत्काल जवाब देने के बजाय भारत इस मामले को अनिश्चितकाल तक टालने की रणनीति अपना सकता है।

भारत को उम्मीद थी कि बांग्लादेश इस मुद्दे पर संयम बरतेगा, खासकर जब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोपों से जूझ रहा है। हालांकि, इस अनुरोध से दोनों देशों के संबंधों में और तनाव बढ़ने की आशंका है।

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