सिडकुल भर्ती घोटाला: पांच साल की जांच के बाद फर्जी नियुक्तियों का खुलासा, कई और अधिकारी जांच के घेरे में

सिडकुल भर्ती घोटाला: पांच साल की जांच के बाद फर्जी नियुक्तियों का खुलासा, कई और अधिकारी जांच के घेरे में

राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) में पांच वर्षों से चली आ रही जांच के बाद फर्जी शैक्षिक प्रमाण-पत्रों के आधार पर दी गई नियुक्तियों के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। राजपुर थाने में सिडकुल की पूर्व सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) राखी, चालक अमित खत्री और विकास कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। यह मुकदमा सिडकुल में नियुक्ति फर्जीवाड़े से जुड़ा पहला मुकदमा है, और जांच टीम के अनुसार, जल्द ही कुछ और अधिकारी व कर्मचारी भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।

राखी की नियुक्ति और बर्खास्तगी का मामला

शिकायतकर्ता और सिडकुल के प्रबंधक (मानव संसाधन) करन सिंह नेगी की ओर से दर्ज की गई शिकायत में बताया गया कि 2016 में सिडकुल ने सहायक महाप्रबंधक (मानव संसाधन) सहित विभिन्न पदों के लिए भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। रानीपुर, हरिद्वार निवासी राखी ने इस पद के लिए आवेदन किया और 10वीं, 12वीं, बीएससी और एमबीए (मानव संसाधन) की शैक्षणिक योग्यता के प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए। इन प्रमाण-पत्रों के आधार पर, उन्हें 2017 में नियमित नियुक्ति दी गई थी।

लेकिन, 2018 में नियुक्ति पर सवाल उठने के बाद, शासन ने विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया। जांच में पाया गया कि राखी के प्रस्तुत प्रमाण-पत्र, खासकर इंजीनियरिंग कॉलेज रुड़की (कोर) के प्रमाण-पत्र, फर्जी थे। इसके बाद, अक्टूबर 2023 में सिडकुल प्रबंधन ने राखी को बर्खास्त कर दिया।

चालक पदों पर भी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल

सिडकुल में केवल उच्च पदों पर ही नहीं, बल्कि चालक पदों पर भी फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया। मसूरी निवासी अमित खत्री और विकास कुमार ने फर्जी प्रमाण-पत्रों के आधार पर सिडकुल में चालक पद पर नियुक्ति पाई थी। अमित ने गुरुकुल विश्वविद्यालय, वृंदावन मथुरा से कक्षा 10वीं उत्तीर्ण करने का प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किया, जबकि जांच में यह प्रमाण-पत्र भी फर्जी पाया गया।

पांच साल लंबी जांच, पर कार्रवाई में नौ माह की देरी

सिडकुल घोटाले की जांच 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में एसआइटी को सौंपी गई थी। इस जांच के दौरान, सिडकुल से लेकर शासन तक हलचल मची रही। हालांकि, जांच में विभिन्न प्रशासनिक अड़चनों के चलते देरी हुई, लेकिन अंततः अक्टूबर 2023 में जांच पूरी कर ली गई और रिपोर्ट शासन को भेज दी गई। इसके बाद, शासन ने फर्जी नियुक्तियों को लेकर मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए।

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अनियमितताओं का चक्रव्यूह: सिडकुल में करोड़ों का घोटाला

2012 से 2017 के बीच सिडकुल ने प्रदेश के विभिन्न जिलों में औद्योगिक क्षेत्रों में निर्माण कार्य कराए थे। इस दौरान, नियमों को ताक पर रखकर उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम (यूपीआरएनएन) को ठेके दिए गए, जिसमें सरकारी धन का दुरुपयोग, वेतन निर्धारण में गड़बड़ियां और विभिन्न पदों पर भर्ती में अनियमितताएं सामने आईं। जांच में यह भी पाया गया कि इन अनियमितताओं के कारण सिडकुल और यूपीआरएनएन के कई अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी जिम्मेदारियों का उल्लंघन किया था।

और भी कई अधिकारी जांच के घेरे में

एसआइटी की जांच रिपोर्ट के अनुसार, अब तक की जांच में विभिन्न पदों पर हुई भर्तियों में अनियमितताएं पाई गई हैं। इस मामले में कुछ और अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ भी जल्द कार्रवाई हो सकती है। शासन को भेजी गई एक हजार पन्नों की रिपोर्ट में सिडकुल में हुई वित्तीय अनियमितताओं की भी जानकारी दी गई है। अब देखना यह है कि इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों के खिलाफ कब और किस तरह की कार्रवाई की जाएगी।

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