दून विवि में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार उत्तराखंड विजन 2040
देहरादून – दून विवि में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार उत्तराखंड विजन 2040 – एजेंडा फॉर सोशियो-इकॉनामिक डेवलपमेंट के पहले दिन देशभर से जुटे विद्वानों ने पुलवामा में शहीद सी.आर.पी.फ के जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए दो मिनट का मौ न रखा। इसके बाद कार्यक्रम की विधिवत शुरूआत करते हुए वक्ताओं ने उत्तराखंड के भविष्य का खाका खींचा।
सेमिनार में इसरो के सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक मुख्य अतिथि पद्मश्री वाई.एस. राजन ने महिला सशक्तिकरण, पर्वतीय इलाकों को केंद्र में रखकर विकास योजनाएं बनाने, कृषि के बजाय ओद्योगिकीकरण को अधिक अहमियत देने और पर्यटन को बढ़ाना दिए जाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बदल रही है। कृषि में रोजगार की तलाश में भटक रहे नौजवानों को खपाना मुमकिन नहीं है। देश की योजनाएं भविष्य की जरूरतों को पूरी करने वाली होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि विकास की प्रक्रिया में समाज के हर वर्ग की भागीदारी जरूरी है। युवाओं को इंटरनेट तक पहुंच मिलनी चाहिए। इससे उनके प्रगति के रास्ते खुलेंगे। सभी को मिलकर आगे बढ़ना होगा।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आनंद शेरखाने, अतिरिक्त विकास आयुक्त, भारत सरकार ने कहा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों का देश की सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी) में सर्वाधिक योगदान है। साथ ही देश में सबसे अधिक रोजगार इस क्षेत्र में मौजूद है।
स्वागत भाषण डा. एच.एस. दास ने दिया। अध्यक्षीय उद्बोधन दून विवि के कुलपति डा. सी.के. नौटियाल ने किया। संचालन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के डीन प्रोफेसर एच.सी पुरोहित ने किया।
सेमिनार में दो प्लेनरी सत्र आयोजित हुए। पहले प्लेनरी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर ए.एन पुरोहित ने की। इसी सत्र में डा. ए.सी जोशी, डायरेक्टर, एच.आर, उत्तराखंड जल विद्युत निगम ने कहा कि हिमाचल और उत्तराखंड में जल विद्युत निर्माण की क्षमताओं लगभग एक जैसी है। लेकिन उत्तराखंड जल विद्युत निर्माण में बहुत पीछे रह गया है। उन्होंने उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण की वकालत की। साथ ही जोड़ा कि जल विद्युत परियोजना के निर्माण से राज्य में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही आधारभूत ढांचे का विकास होगा और औद्योगिकीकरण की राज्य में तेज होगी। इसी सत्र में उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव डा. इंदु कुमार पांडे ने कहा नौकरशाही और राजनेताओं में बेहतर तालमेल से ही विकास को गति मिल सकती है। उन्होंने कहा स्मार्ट सिटी बनाने की कोशिश में धन बर्बाद करने के बजाय शहरी क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं खड़ी करने की बात कही। डा. एच.एस दास ने कहा उत्तराखंड में सांस्कृतिक पर्यटन में अपास संभावनाएं मौजूद है। साथ ही स्वास्थ्य व शिक्षा के क्षेत्र में उत्तराखंड देशभर में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभर सकता है।
वहीं द्वितीय सत्र में स्वामी रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी के कुलपति डा. विजय धस्माना, हिमालया ड्रग के मालिक डा. सैयद फारूख, गति फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल, इंडस्ट्री एसोशिएसन ऑफ उत्तराखंड के अध्यक्ष पंकज गुप्ता, लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्मम के निदेशक वी.के. शर्मा ने अपनी बात रखी।
कार्यक्रम में कुलसचिव सुधीर बुड़ाकोटी, डा. रीना सिंह, डा. मधु बिष्ट, डा. संध्या जोशी, डा. एच. कुकरेजा, डा. सुधांशु जोशी, डा. आशीष सिन्हा, डा. नीतिन कुमार, डा. राजेश कुमार, डा. प्राची पाठक, डा. एम.एस मंद्रवाल, मुकेश देवराड़ी सहित दून विवि के तमाम शिक्षकों और छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर भागीदारी की।
सेमिनार में सस्टेनेबल डेवलपमेंट- द वे फार्वर्ड पुस्तक का विमोचन भी किया है। इस पुस्तक का संपादन डा. एच.एस. दास, डा. हर्ष डोभाल और डा. प्राची पाठक ने किया। पुस्तक में सेमिनार के लिए प्राप्त हुए शोधपत्रों को प्रकाशित किया गया है।