अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी से हिमालयी राज्यों के विकास का खाका तैयार, यू-सैक सभागार में राज्य स्तरीय संगोष्ठी सम्पन्न

उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यू-सैक) में “विकसित भारत 2047 के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं उसके अनुप्रयोगों का लाभ: हिमालयीय राज्यों के दृष्टांत” विषय पर एक दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी आगामी जुलाई में प्रस्तावित राज्य स्तरीय स्पेस मीट और अगस्त में होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला की तैयारियों का हिस्सा रही।
इस कार्यक्रम में राज्य के 21 विभागों से आए 40 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इनमें वन, सिंचाई, आपदा प्रबंधन, जल संस्थान, पशुपालन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ऊर्जा, लोक निर्माण, राजस्व, ग्राम्य विकास, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जैवविविधता बोर्ड जैसे विभागों के अधिकारी और वैज्ञानिक शामिल थे।
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तैयार होगा विजन डॉक्यूमेंट
यू-सैक के निदेशक प्रो. एम.पी.एस. पंत ने बताया कि सभी रेखीय विभागों को आठ प्रमुख थीमों में बांटकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग के तहत वर्तमान और भविष्य की परियोजनाओं का खाका तैयार किया जाएगा। यह डॉक्यूमेंट “स्पेस मीट” में प्रस्तुत किया जाएगा, जो राष्ट्रीय कार्यशाला के लिए उत्तराखंड का रोडमैप तय करेगा।
प्रो. पंत ने कहा कि उत्तराखंड जैसे भूगर्भीय दृष्टि से संवेदनशील हिमालयी राज्य के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग आपदा प्रबंधन, पर्यावरण निगरानी, संसाधन प्रबंधन और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास में अत्यंत उपयोगी है।
संगोष्ठी में इसरो के क्षेत्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (नार्थ) के वैज्ञानिक डॉ. अभिनव शुक्ला ने नेशनल स्टेट स्पेस मीट की रूपरेखा साझा की। वहीं, भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. प्रवीन ठाकुर ने भारतीय स्पेस मिशन और इसके अनुप्रयोगों पर विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया।
संगोष्ठी का संचालन यू-सैक की वैज्ञानिक डॉ. सुषमा गैरोला ने किया। कार्यक्रम में यू-सैक के डॉ. अरुणा रानी, डॉ. आशा थपलियाल, डॉ. गजेन्द्र रावत, डॉ. प्रियदर्शी उपाध्याय, श्री पुष्कर कुमार, श्री शशांक लिंगवाल, श्री सुधाकर भट्ट, श्री प्रदीप रावत, डॉ. दिव्या उनियाल, श्री गोविन्द नेगी, श्री विकास शर्मा सहित सभी प्रमुख वैज्ञानिक उपस्थित रहे।