स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया(एसएफआई) द्वारा शहादत दिवस पर “ भगत सिंह के विचारों की आज के दौर में प्रसिंगिकता पर व्याखान” पर गोष्ठी, नुक्कड़, जनगीत कर शहीदों के सपने के भारत बनाने का सकल्प लिया |
देहरादून–आज दिनांक 23 मार्च 2013 को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया(एसएफआई) डीएवी कॉलेज इकाई द्वारा शहादत दिवस के अवसर पर कॉलेज सभागार में शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु को याद करते हुए “ भगत सिंह के विचारों की आज के दौर में प्रसिंगिकता पर व्याखान” पर गोष्ठी, नुक्कड़, जनगीत कर शहीदों के सपने के भारत बनाने का सकल्प लिया |
कार्यक्रम की शुरुवात शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया | कार्यक्रम मे डीएवी प्राचार्य अजय सक्सेना ने शहीदों को याद करते हुए कहाँ की भगत सिंह युवा क्रांतिकारी थे ।जिनके विचार उस समय के युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय थे | आगे उन्होंने कहा कि भगत सिंह की फांसी 24 मार्च को तय थी ।लेकिन अंग्रेज सरकार भगत सिंह और उनके विचारों की लोकप्रियता से इतनी भयभीत हो गई थी कि उन्हें तय समय से एक दिन पहले ही 23 मार्च को फांसी पर चढ़ाने का फैसला लिया गया |
उन्होंने कहा कि भगत सिंह के विचार आज के समय में भी उतने ही प्रासंगिक हैं और छात्रों से जोर देते हुए कहा कि छात्रों को भगत सिंह के विचारों की गहराई को समझने के लिए उनके विचारों को जितना अधिक हो सके पढना चाहिए और हमारे समाज को बेहतर बनाने के लिए उन विचारों को अपने जीवन में उतारना चाहिये |
इस अवसर पर पूर्व एसएफआई सदस्य राजेंद्र पुरोहित ने आज के दौर में भगत सिंह के विचार क्यों प्रसिंगिक है पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जिस प्रकार का आज देश में माहौल है ।वह शहीद भगत सिंह के विचारों और सपनों के विपरीत है ।आज देश में नौजवान से लेकर मजदूर, किसान सड़कों पर है | देश के भीतर लगातार ऐसी घटनाएँ सामने आ रही है ।जैसे दलितों – पिछड़ों के साथ भीड़ द्वारा मारपीट, किसानों द्वारा लगातार आत्महत्याएं, मजदूरों व् आदिवासियों के हकों को लगातार छीना जा रहा है।
लेकिन सरकारों का ध्यान समाज के इन वर्गों कि बेहतरी की बजाय पूंजीपति वर्ग को ही खुश करने पर लगा है | साथ ही कहाँ कि जिस भारत का सपना देखते हुए भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु ने फ़ासी का फंदा चूमा था वह यह भारत नहीं है | इन शहीदों के सपनों को साकार करने के लिए देश के युवाओं को इन शहीदों के विचारों को पढकर आत्मसात कर बेहतर समाज के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए |
मुख्य नियंता अतुल सिंह ने शहीदों को नमन करते हुए कहा कि एसएफआई एक ऐसा संगठन है ।जो भगत सिंह के विचारों को न केवल आदर्श रूप में देखती है बल्कि उन विचारों को हकीकत में बदलने के लिए लगातार संघर्ष व आन्दोलनरत रहती है |
एसएफआई निरंतर इस प्रकार के कार्यक्रम करती आ रही है। जो भगत सिंह के विचारों को आज के युवाओं के बीच लेजाने का माध्यम बनते है साथ ही छात्र-छात्राओं को शहीदों के विचारों से बेहतर समाज बनाने के लिए प्रेरित करने का काम करती है |
एसएफआई राज्य सचिव देवेन्द्र सिंह रावल ने कहा कि भगत सिंह ने एक शोषणरहित समाज का सपना देखा था लकिन हम अभी भी समाज में हर स्तर पर शोषण देखते है | समाज के पिछड़े वर्ग मजदूर किसान महिलाएं आज भी अनेक तरह के शोषण से दो चार हो रहे है | भगत सिंह ने कहा था इन्कलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है आज के युवाओं को भी इंकलाब लाने के लिए भगत सिंह के विचारों को लेकर समाज में जाना होगा और इन्कलाब को अंजाम तक पहुचाने के लिये संघर्ष करना होगा |
इस अवसर पर महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के प्राध्यापक सहित एसएफआई जिला सचिव हिमांशु चौहान, समाजसेवी भार्गव चंदोला, विनोद बगियाल, नौजवान सभा से राजेश्वर, सोनाक्षी, देवेन्द्र ने भी अपने विचार रखे |
कार्यक्रम में जनगीत तथा नुक्कड़ द्वारा छात्र-छात्राओं को सन्देश दिया जिसमे अतुल कान्त, इंदु नेगी, अतुल सिंह, दीपक सजवाण, सुप्रिया भंडारी, शैलेन्द्र परमार, सुमन, मनोज, चेतना, स्वेता, निकिता, नेहा, मोनिका, मनीषा, हिमांशु आदि के साथ बड़ी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद थे | कार्यक्रम का संचालन सोनाली नेगी व् संजय कुनियाल के द्वारा किया गया |