रुड़की के सूबेदार अंकुर रावत ने फिर रचा इतिहास, दूसरी बार एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा

रुड़की के सूबेदार अंकुर रावत ने फिर रचा इतिहास, दूसरी बार एवरेस्ट पर फहराया तिरंगा
ankur rawat at mount everst

देशभक्ति सिर्फ मैदान-ए-जंग में नहीं, बर्फ से ढकी पहाड़ियों की ऊंचाइयों पर भी दिखाई देती है। भारतीय सेना के जांबाज़ सूबेदार अंकुर रावत हुए उनके साथी पर्वतारोहियों ने यह साबित कर दिखाया है—और वो भी दूसरी बार। 18 मई 2025 को सुबह 03:05 बजे, उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचकर एक बार फिर तिरंगा फहराया, वो भी एनसीसी के युवा कैडेट्स के साथ मिलकर। यह सिर्फ एक चढ़ाई नहीं थी, यह साहस, नेतृत्व और समर्पण का वो कारनामा है जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गया। रुड़की के विनीत नगर में रहने वाले और मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ग्राम पीपला, सुरलगांव से ताल्लुक रखने वाले सूबेदार अंकुर रावत ने अपनी टीम के साथ मिलकर न सिर्फ अपना पूरे प्रदेश और देश का मान बढ़ाया है ।

 कुछ यूं रहा टीम का माउंट एवरेस्ट का सफर – 

2024 में सूबेदार अंकुर रावत को भारतीय सेना की साहसिक गतिविधि शाखा ने एनसीसी एवरेस्ट अभियान की कोर टीम में शामिल किया। उन्होंने न सिर्फ सियाचिन की बर्फीली ज़मीन पर कैडेट्स को ट्रेनिंग दी, बल्कि माउंट अबी गामिन पर चढ़ाई कर उन्हें रियल टाइम अनुभव भी कराया। और फिर…

 १ . 3 अप्रैल 2025: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा टीम को दिल्ली से फ्लैग ऑफ किया गया।

२ .  10 अप्रैल: टीम ने नेपाल में ट्रेक शुरू किया।

३ .  18 अप्रैल: टीम एवरेस्ट बेस कैंप पहुँची।

४ .  23 अप्रैल: टीम ने माउंट लोबुचे (6119 मीटर) पर चढ़ाई कर तिरंगा फहराया।

५ .  25 अप्रैल – 5 मई: टीम ने कैंप 3 तक एक्लिमेटाइजेशन रोटेशन पूरा किया।

६ .  15-18 मई: समिट पुश शुरू हुआ और 18 मई की सुबह सूबेदार रावत एवरेस्ट के शिखर पर पहुँचे।
Team at Mount Evrest

ये थे इस मिशन में शामिल –

इस अभियान में कुल 38 सदस्य शामिल थे, जिन्होंने दक्षिणी कोल रूट (South Col Route) से एवरेस्ट की चढ़ाई की। इस दल में पर्वतारोहियों के साथ अनुभवी शेर्पा गाइड्स भी शामिल थे। इस टीम में पर्वतारोहियों के रूप में सूबेदार अंकुर रावत, राजनीश जोशी, बलकार सिंह, जोगमैथ नामग्याल, दीपक कुमार, दावा त्सेतेन भूटिया, रिगजिन दोरजाई, कृतिका शर्मा, प्रतिमा राय, रिफाइनेस वर्जरी, मोनिका, आबिदा आफरीन, मोहित कनाठिया, पदमा नामग्याल, मुकुल बंगवाल, वीरेंद्र सिंह सामंत और सचिन कुमार शामिल थे, जिन्होंने अनुभवी शेरपा गाइड्स की सहायता से दक्षिणी कोल रूट से एवरेस्ट की सफल चढ़ाई की।

इससे पहले अंकुर ने इन चोटियों पर विजय प्राप्त की है – 

रुड़की के विनीत नगर में रहने वाले और मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल के ग्राम पीपला, सुरलगांव से ताल्लुक रखने वाले सूबेदार अंकुर रावत पहले भी 2016 में एवरेस्ट फतह कर चुके हैं। 2019 में उन्होंने माउंट मकालू जैसी खतरनाक चोटी को भी जीत लिया था। और अब… 27वीं बार किसी शिखर पर तिरंगा लहराकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि असली हीरो वही होते हैं, जो अपने जज़्बे से हर सीमा तोड़ते हैं।

इस पूरे अभियान में सूबेदार रावत सिर्फ पर्वतारोही नहीं, एक मार्गदर्शक, एक प्रेरक और एक लीडर बनकर उभरे। उनके साथ गए 10 एनसीसी कैडेट्स (5 लड़कियां और 5 लड़के) के लिए यह सिर्फ एक ट्रेक नहीं था, यह जिंदगी बदल देने वाला अनुभव था। इस उपलब्धि के साथ रावत न सिर्फ पौड़ी गढ़वाल और हरिद्वार जिले के के पहले व्यक्ति बन गए जिन्होंने दो बार एवरेस्ट फतह किया, बल्कि उन्होंने यह भी दिखा दिया कि छोटे शहरों और गांवों से निकले लोग भी अंतरराष्ट्रीय कीर्तिमान रच सकते हैं।

ये उस मिट्टी के बेटे की कहानी है, जिसने ठानी तो हिमालय भी झुक गया। ये उन युवा कैडेट्स की कहानी है, जिन्होंने सीख लिया कि देशप्रेम सिर्फ किताबों में नहीं, पहाड़ों पर चढ़कर भी जिया जा सकता है। और ये उस भारत की कहानी है, जो हर ऊंचाई को छूने के लिए तैयार है—बस जरूरत है सूबेदार अंकुर रावत जैसे नायकों की।

Saurabh Negi

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