दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे, बॉर्डर किए गए सील
केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों का विरोध करने के लिए दिल्ली का घेराव करने जा रहे किसान दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। सिंघु बॉर्डर (हरियाणा-दिल्ली सीमा) पर पुलिसवालों ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। यहां भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है। इसके अलावा, रोहतक-झज्जर सीमा, दिल्ली-गुरुग्राम और दिल्ली-जम्मू राजमार्ग भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं।
हरियाणा में गुरुवार को कई जगहों पर पुलिस और किसानों के बीच झड़प देखने को मिली। पुलिस की ओर से लगाए गए बैरिकेड, पत्थर और मिट्टी के ढेर को हटाकर किसान हरियाणा में प्रवेश कर गए। पंजाब-हरियाणा सीमा पर हरियाणा पुलिस ने कुल नौ जगह सीमा सील की हुई थी। इनमें से सात जगह किसानों ने बैरिकेड तोड़े तो तीन जगह पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई। पूरे दिन सीमा पर तनाव का माहौल बना रहा।
LIVE Farmers Protest Updates
– समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार दिल्ली पुलिस ने किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए दिल्ली सरकार से नौ स्टेडियमों को अस्थायी जेलों में तब्दील करने की अनुमति मांगी।
– किसानों ने सिंघु सीमा (हरियाणा-दिल्ली सीमा) पर दिल्ली में प्रवेश करने से रोक दिया। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार एक किसान ने कहा कि हम शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और हम इसे जारी रखेंगे। हम शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करते हुए दिल्ली में प्रवेश करेंगे। लोकतंत्र में, किसी को विरोध करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
– कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तितर-बितर करने के लिए सिंघु बॉर्डर पर सुरक्षाबलों ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया।
– कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान रोहतक से दिल्ली की ओर आ रहे हैं। एक प्रदर्शनकारी किसान ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया कि पुलिस ने हमें पानी की बौछारें और आंसू गैस से रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन हमने इसकी परवाह नहीं की और हम दिल्ली की ओर आगे बढ़ रहे हैं।
– रोहतक-झज्जर बॉर्डर पर इकट्ठा हुए केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों का विरोध कर रहे किसान।
प्रदर्शनकारियों ने क्या कहा
समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए एक किसान ने कहा कि मुख्य मांग यह है कि उन्हें हमारी बात सुननी चाहिए। वे कृषि कानून लाए हैं और फिर भी, वे हमारी बात नहीं सुन रहे हैं। यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और बिचौलियों या सेवा प्रदाता को हटा दिया जाता है तो किसान क्या करेंगे? वहीं सरकार का कहना है कि कृषि सुधार कानूनों से बिचौलिए की भूमिका खत्म हो जाएगी। किसान अपनी उपज सीधे बाजार में बेच पाएंगे। प्रदर्शनकारियों को डर है कि उन्हें उनकी उपज की उचित कीमत नहीं मिलेगी और उनके समय पर भुगतान बाधित हो सकते हैं।