हरिद्वार के चंडीघाट पुल का बजट 57 लाख से बढ़कर 65 करोड़, फिर भी समय पर नहीं हुआ पूरा
हरिद्वार में 2020 से शुरू हुआ चंडीघाट का नया पुल चार साल बाद भी अधूरा है। कई बार निर्माण कार्य की समय सीमा निर्धारित की गई, लेकिन हर बार काम समय पर पूरा नहीं हो सका। इस देरी से लागत भी लगातार बढ़ती रही। शुरू में यह पुल 57 लाख रुपये में बनना था, लेकिन अब इसकी लागत बढ़कर 65 करोड़ रुपये हो गई है। पुल का काम 93 फीसदी पूरा हो चुका है। एनएचएआई अधिकारियों का कहना है कि पुल का निर्माण अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत तक पूरा हो जाएगा। हालांकि, मानसून के मौसम के कारण इसमें देरी की आशंका बनी हुई है।
चंडीघाट पर नीलधारा के ऊपर लगभग 1.25 किलोमीटर लंबे इस पुल का निर्माण कुंभ से पहले 2020 में शुरू हुआ था। शुरुआत में इसे 57 करोड़ रुपये की लागत से पूरा करने की योजना थी, लेकिन निर्माण सामग्री और अन्य सामान महंगा होने के कारण बजट बढ़कर 65 करोड़ रुपये हो गया है। विशेषज्ञों के अनुसार, पुल का काम जून 2022 में पूरा करने का लक्ष्य था, जो पूरा नहीं हो सका। इसके बाद दिसंबर 2023 तक इसे पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन निर्माण कार्य की गति धीमी होने से यह भी संभव नहीं हो पाया। फिर मार्च में इसे पूरा करने का दावा किया गया।
मई में लोक निर्माण विभाग के सचिव ने हरिद्वार दौरे के दौरान पुल का निरीक्षण किया और इसे 30 जून तक पूरा करने का निर्देश दिया। लेकिन, मानसून के कारण गंगा में पानी का बहाव बढ़ जाने से निर्माण कार्य फिर से रुक गया। इस वजह से 30 जून तक भी निर्माण पूरा नहीं हो सका और अब फिर से काम की समय सीमा आगे बढ़ गई है।
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इन जिलों को जोड़ता है पुल
चंडीघाट का पुल कुमाऊं मंडल के साथ ही उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, बरेली सहित कई जिलों को जोड़ता है। स्नान पर्वों और कांवड़ मेले के दौरान एक ही पुल पर अधिक भीड़ हो जाने से समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। नया पुल बनने के बाद इन समस्याओं से राहत मिल सकेगी।
एनएचएआई के डिप्टी मैनेजर अमित शर्मा के अनुसार, “पुल का काम 93 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है। बरसात के कारण काम में थोड़ी समस्या आ रही है। शेष काम को अगस्त-सितंबर तक पूरा करने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं।”