यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान को पुलवामा आतंकी हमले से एक दिन पहले हाई-रिस्क सूची में कर दिया था शामिल, पढ़िए

यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान को पुलवामा आतंकी हमले से एक दिन पहले हाई-रिस्क सूची में कर दिया था शामिल, पढ़िए

नई दिल्ली । आतंकवादी गतिविधियों के लिए पाकिस्तान हमेशा से एक बदनाम देश रहा है। शुक्रवार को ही अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने अपने संपादकीय में पाकिस्तान द्वारा आतंकी गतिविधियां संचालित करने का जिक्र किया था। यूरोपीय संघ ने भी पाकिस्तान को पुलवामा आतंकी हमले (Pulwama Terror Attack) से ठीक एक दिन पहले अपनी हाई-रिस्क सूची (High-Risk List) में शामिल कर दिया था।

यूरोपीय संघ ने पिछले महीने ही ‘उच्च जोखिम वाले तीसरे देशों’ (High Risk Third Countries) की नई सूची तैयार की है। इस सूची में 23 देशों को शामिल किया गया है। ये वो देश हैं, जिन पर मनी-लॉड्रिंग और टेरर फंडिंग करने का संदेह है। ये सूची जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी 2019 को सीआरपीएफ काफिले (CRPF Convoy) पर हुए आतंकी हमले के ठीक एक दिन पहले तैयार की गई थी। इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे।

यूरोपीय संघ द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस सूची का उद्देश्य मनी-लॉड्रिंग और टेरर फंडिंग जैसे खतरों से बेहतर ढंग से निपटना है। साथ ही इस तरह के खतरों से यूरोपीय संघ की वित्तीय प्रणाली की रक्षा करना है। यूरोपीय संघ के इस कदम के बाद उसके एंटी-मनी लॉड्रिंग कानून के अंतर्गत आने वाले बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को इन उच्च-जोखिम वाले तीसरे देशों के ग्राहकों और वित्तीय संस्थानों से जुड़े किसी भी संदिग्ध धन प्रवाह की पहचान करने के लिए कड़ी जांच करनी होगी। साथ ही इन देशों के वित्तीय लेनदेन पर भी नजर रखनी होगी।

ईयू ने यह कदम यूरोपीय संघ के बैंकों में हुए कई घोटालों के बाद मनी लांड्रिंग पर की गई कार्रवाई के तहत उठाया है। सूची में शामिल किए गए देशों में आतंकी फंडिंग और मनी लांड्रिंग रोधी उपायों में रणनीतिक कमियां पाई गई हैं। अब इस सूची को एक महीने के भीतर मंजूरी के लिए यूरोपीय संसद और परिषद के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। यूरोपीय संघ ने ये भी कहा है कि सूची में शामिल देशों को अपनी खामियों की अच्छे से पहचान कर उनमें रणनीति तौर पर अपेक्षित सुधार लाना होगा।

इन 23 देशों को किया गया ब्लैक लिस्ट
यूरोपीय संघ की इस सूची में पनामा, सऊदी अरब, लीबिया, बोत्सवाना, घाना, समोआ, बहामास और अमेरिका के चार क्षेत्र अमेरिकन समोआ, यूएस वर्जिन द्वीप, प्यूर्टोरिको और गुआम भी शामिल किए गए हैं। इसके अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तर कोरिया, इथोपिया, ईरान, इराक, श्रीलंका, सीरिया, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, ट्यूनीशिया और यमन देश पहले से शामिल हैं।

अमेरिका और ब्रिटेन ने जताई नाराजगी
अमेरिका ने अपने चार क्षेत्रों को सूची में शामिल करने पर नाराजगी जाहिर की है। अमेरिकी कोषागार विभाग ने कहा था कि सूची तैयार करने की पूरी प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है। इस सूची की ब्रिटेन समेत कई यूरोपीय देशों ने भी आलोचना की है। ब्रिटेन ने सूची में शामिल किए गए देशों खासतौर पर सऊदी के साथ अपने आर्थिक संबंधों को लेकर चिंता जाहिर की है।

क्या है यूरोपीय संघ
यूरोपीय संघ (ईयू) 28 सदस्य देशों का एक राजनीतिक और आर्थिक संघ है। इसके सभी सदस्य देश यूरोपीय महाद्वीप में स्थित हैं। ‘इनर सिक्स’ के रूप में छह यूरोपीय देशों बेल्जियम, फ्रांस, डब्ल्यू जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और लक्समबर्ग ने 1957 में रोम संधि के तहत यूरोपीय कमीशन का गठन किया था। यूरोपीय संघ के सभी सदस्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को जोड़ दिया जाए तो वह संयुक्त रूप से अमेरिका की जीडीपी से ज्यादा हो जाता है। यूरोपीय संघ में दुनिया की 7.3 फीसद आबादी रहती है। इस संघ की वैश्विक निर्यात और आयात में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। इसके 28 सदस्य देशों में से 19 देश यूरो को अपनी मुद्र के रूप में प्रयोग करते हैं।

यूरोपीय संघ के लक्ष्य इस प्रकार हैं-
1. यूरोपीय क्षेत्र में संतुलित आर्थिक विकास और मूल्य स्थिरता के आधार पर सतत विकास को बढ़ावा देना।
2. एक आर्थिक और मौद्रिक संघ स्थापित करना और एक साझी मुद्रा जारी करना।
3. पूर्ण रोजगार, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक प्रगति के साथ एक अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार अर्थव्यवस्था विकसित करना।
4. क्षेत्र के नागरिकों के कल्याण को बढ़ावा देना।
5. आंतरिक सीमाओं को भुलाकर अपने नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, सुरक्षा प्रदान करना।
6. सदस्य देशों की समृद्ध संस्कृति और भाषाई विविधता का सम्मान करना।
7. क्षेत्र में वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना।

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