लीसा खरीद में दो की जगह वसूले 12.5 प्रतिशत स्टांप शुल्क, वापस करने में छूट रहे वन विभाग के पसीने
प्रदेश में लीसा खरीद की स्पष्ट नीति नहीं होने से वन विभाग ने लीसा ठेकेदारों से स्टांप शुल्क के रूप में दो की जगह 12.5 प्रतिशत की वसूली कर ली, जो अब उसके गले की हड्डी बन गया है। इस मामले में नैनीताल हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद अब अतिरिक्त पैसा ठेकेदारों को वापस किया जाना है, जो करीब साढ़े करोड़ रुपये है। वन विभाग ने अब इसके लिए शासन से स्पष्ट दिशा-निर्देश के साथ अनुमति मांगी है।
प्रदेश में लीसा खरीद पर लिए जाने वाले स्टांप शुल्क को लेकर हमेशा से अनिश्चितता की स्थिति बनी रही। कभी यह खरीद दो प्रतिशत तो कभी पांच प्रतिशत पर की गई। इसके बाद वर्ष 2020 में शासन के एक आदेश के बाद इसे 12.5 प्रतिशत कर दिया गया। स्टांप शुल्क में की गई इस वृद्धि के खिलाफ लीसा खरीद से जुड़े ठेकेदार हाईकोर्ट चले गए। यह मामला लंबे समय तक हाईकोर्ट में लंबित रहा। इस दौरान वन विभाग की ओर से 12.5 की दर से ही वसूली करता रहा।
पिछले दिनों इस मामले में हाईकोर्ट ने अपना निर्णय दिया और स्टांप शुल्क दो प्रतिशत की दर से ही वसूलने का आदेश जारी किया। इसके बाद वन विभाग के लिए धर्मसंकट खड़ा हो गया, क्योंकि विभाग वसूली गई अतिरिक्त राशि का एक बड़ा हिस्सा राजस्व कोष में जमा करा चुका है। जबकि कुछ पैसा उसके पास एफडी के रूप में जमा है। ठेकेदारों से वर्ष 2020 से 2022 के बीच तीन करोड़ 58 लाख 70 हजार 637 रुपये की अतिरिक्त वसूली की गई है, जो अब विभाग को ठेकेदारों को लौटानी है। इस संबंध में अब प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक की ओर से शासन को पत्र लिखा गया है।
लीसा खरीद में वसूली जाने वाले स्टांप ड्यूटी के संदर्भ में स्पष्ट निर्देश नहीं होने से यह समस्या पैदा हुई है। इस साल शासन की ओर से इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके तहत अब दो प्रतिशत स्टांप शुल्क ही वसूला जाना है। इस बीच जो अतिरिक्त शुल्क वसूला गया है, उसे वापस किया जना है। इस संबंध में प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर दिशा-निर्देश मांगे गए हैं।
– अनूप मलिक, प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ), वन विभाग