रोडवेज को हो रहे घाटे पर बजट में इसके लिए प्रावधान का सरकार ने किया एलान
देहरादून। राज्य के पर्वतीय मार्गों पर बस संचालन की वजह से रोडवेज को हो रहे घाटे की भरपाई के लिए सरकार ने हामी भर दी है। सरकार ने आगामी बजट में इसके लिए प्रावधान का एलान किया है। साथ ही एलान किया कि फौरी तौर पर भी रोडवेज को कुछ आर्थिक मदद दी जाएगी। इसके अलावा कुमाऊं में निजी आपरेटरों को परमिट देने के प्रस्ताव पर अपर सचिव परिवहन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की है, जो आठ फरवरी को आपत्तियों पर सुनवाई कर निर्णय लेगी।
सरकार के इस फैसले के बाद रोडवेज के संयुक्त मोर्चा ने 31 जनवरी की आधी रात से हड़ताल पर जाने का प्रस्तावित कार्यक्रम 20 फरवरी तक स्थगित कर दिया है।
कुमाऊं में परिवहन विभाग की ओर से निजी बस आपरेटरों को राष्ट्रीयकृत मार्गों पर परमिट देने के प्रस्ताव के विरुद्ध प्रदेश के समस्त रोडवेज कर्मियों ने 16 जनवरी से हड़ताल का एलान किया था। सरकार ने कर्मियों के साथ तीन दौर की बातचीत कर उन्हें मना लिया। कर्मियों ने चेतावनी जारी की थी कि अगर 30 जनवरी तक उनकी मांगें नहीं मानी गई तो वे 31 जनवरी की आधी रात से हड़ताल पर चले जाएंगे। इस क्रम में सचिव वित्त अमित नेगी की तरफ से बुधवार को रोडवेज अधिकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा को वार्ता के लिए बुलाया गया। पर्वतीय मार्गों पर घाटे का समाधान करने के बाद उन्होंने कुमाऊं रूट पर चल रहे विवाद के लिए कमेटी गठित की।
रोडवेज के महाप्रबंधक दीपक जैन की ओर से वार्ता के बिंदुओं को जारी करते हुए बताया गया कि आठ फरवरी को अपर सचिव परिवहन हरीश चंद्र सेमवाल की अध्यक्षता में निजी आपरेटरों के परमिट पर आपत्तियों की सुनवाई होगी। संयुक्त मोर्चा को अपनी आपत्तियां लगाने को कहा गया है। इसके साथ ही सरकार ने नई बसों की खरीद पर ब्याज की प्रतिपूर्ति देने की हामी भी भर दी है।
बैठक में संयुक्त मोर्चा से रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री दिनेश पंत, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के महामंत्री अशोक कुमार चौधरी, रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के महामंत्री भोला जोशी, उत्तरांचल परिवहन मजदूर संघ के प्रांतीय अध्यक्ष सहदेव सिंह, उत्तराखंड परिवहन निगम एससी-एसटी श्रमिक संघ के प्रदेश अध्यक्ष राम किशन और राज्यपथ परिवहन कर्मचारी यूनियन के महामंत्री दया किशन पाठक, मोर्चा संयोजक विपिन बिजल्वाण व रविनंदन शामिल रहे।