न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। उत्तराखंड में पेपर लीक के बाद यूकेएसएसएससी ने दिसंबर में स्नातक स्तरीय परीक्षा कैंसिल कर दी थी। बड़ी संख्या में आयोग ने नकलचियों को सूचीबद्ध कर परीक्षा में बैठने के लिए प्रतिबंध किया जबकि नकलचियों का वास्तविक आकलन न लग पाने पर पूरी परीक्षा कैंसिल कर इसे दोबारा कराए जाने का निर्णय लिया गया। इस पर पास हुए अभ्यर्थियों ने नकलचियों को बाहर कर उन्हें नौकरी देने की मांग की थी।
जब आयोग ने नए सिरे से परीक्षा कराए जाने का निर्णय लिया तो पास हुए अभ्यर्थियों ने आयोग के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। लंबे समय से परीक्षा कराए जाने को लेकर याचिका पर बहस चली। इसके बाद हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारित कर आयोग के फैसले को बरकरार रखा है।