पौराणिक कथा से जानिए सूर्य ग्रहण का महत्व

पौराणिक कथा से जानिए सूर्य ग्रहण का महत्व

साल 2019 के पहले सप्ताह में ही सूर्यग्रहण लग रहा है, जो कि 5 और 6 जनवरी को लगेगा। इसके बाद साल का पांचवां और अंतिम ग्रहण 26 दिसंबर को लगेगा। ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टि से सूर्यग्रहण का प्रभाव सृष्टि पर मौजूद सभी जीव-जन्तुओं पर पड़ता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सूर्यग्रहण की वजह से ही महाभारत के युद्ध में अर्जुन के प्राण बच पाए थे, आइए हिंदू धर्म से जुड़ी ऐसी ही मान्यताएं जानते हैं।

पुराण बताते हैं क्यों लगता है सूर्यग्रहण
मत्स्य पुराण के मुताबिक सागर मंथन के बाद जब अमृत बांटा जाने लगा तो स्वरभानु नाम का असुर अमृत पीने के लिए रूप बदलकर सूर्यदेव और चंद्रदेव के बीच आकर बैठ गया। सूर्यदेव और चंद्रदेव ने असुर को पहचान लिया और भगवान विष्णु से शिकायत की, जिसके बाद भगवान ने देर किए बिना स्वरभानु का सिर सुदर्शन चक्र से काट दिया। लेकिन तबतक असुर अमृत की कुछ बूंदों का सेवन कर चुका था, जिसकी वजह से वह मर नहीं पाया और असुर के सिर को राहु और धड़ को केतु कहा गया। उसी दिन से सूर्य और चंद्रमा के पास आने पर राहु-केतु के प्रभाव से ग्रहण लगता है।

सूर्य ग्रहण के कारण बचे थे अर्जुन के प्राण
महाभारत युद्ध में अर्जुन ने सूर्यास्त तक जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा ली थी, उन्होंने कहा था कि अगर वो ऐसा नहीं कर पाए तो अग्निसमाधि ले लेंगे। कौरवों ने अर्जुन से जयद्रथ की रक्षा करने के लिए सुरक्षा घेरा बना लिया। भगवान कृष्ण को पता था कि आज सूर्यग्रहण है और जब सूर्यग्रहण हुआ तो जयद्रथ को लगा सूर्यास्त हो गया है और वह सुरक्षा घेरे से बाहर आ गया। तबतक सूर्यग्रहण हट चुका था और भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जयद्रथ का वध करने को कहा। इसी तरह अर्जुन के प्राण बचे थे, वरना उन्हें अग्निसमाधि लेनी पड़ती।

भगवान कृष्ण से संबंध है सूर्यग्रहण का…
भगवान कृष्ण की द्वारका नगरी सूर्यग्रहण के दौरान ही डूबी थी। ये भी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर माता यशोदा और नंद बाबा के साथ राधा जी भी स्नान करने आई थी। यहीं पर गोकुल छोड़ने के बाद श्रीकृष्ण और राधा जी की मुलाकात हुई थी।

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