उत्तराखंड में संस्कृत महाविद्यालयों में रविवार अवकाश नहीं होने का मामला पहुंचा HC
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालयों में रविवार को अवकाश नहीं किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता से एक सप्ताह के भीतर प्रति शपथ पत्र पेश करने को कहा है। हाई कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 14 दिसंबर को निर्धारित की है।
गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में पर्वतीय शिल्पकार सभा के अध्यक्ष गिरीश लाल आर्या, निवासी गोपेश्वर चमोली की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा है कि प्रदेश के संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में रविवार को छुट्टी नहीं दी जाती है। इन विद्यालयों व महाविद्यालयों में पंचाग को देखकर त्रिपता या अष्टमी को अवकाश किया जाता है, वर्तमान में प्रदेश में संस्कृत के 12 विद्यालय व महाविद्यालय हैं। जिसमें से तीन विद्यालयों में रविवार को अवकाश रहता है, अन्य में त्रिपता या अष्टमी को अवकाश होता है।
रविवार को अवकाश नहीं होने का है मुद्दा
जनहित याचिका में कहा गया है कि जब सभी जगह रविवार को अवकाश रहता है तो इन विद्यालयों व महाविद्यालयों में क्यों नहीं दिया जाता। रविवार को अवकाश नहीं होने के कारण इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र प्रतिगयोगी परीक्षा में प्रतिभाग नही कर पाते, इसलिए कि सारी प्रतियोगी परीक्षाएं रविवार को ही होती है।
रविवार को छुट्टी की है मांग
अष्टमी सप्ताह में किसी भी दिन आ सकती है या दो सप्ताह में कभी भी , यह पंचाग पर निर्भर करता है। इसलिए प्रदेश के सभी संस्कृत विद्यालयों व महाविद्यालयों में रविवार को ही अवकाश घोषित किया जाए। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन है। अब इस मामले पर हाई कोर्ट ने सुनवाई की है।