उत्तराखंड में बाघों की मौत में आई 62 प्रतिशत की कमी, संरक्षण प्रयासों का असर

उत्तराखंड में बाघों की मौत में आई 62 प्रतिशत की कमी, संरक्षण प्रयासों का असर

उत्तराखंड में इस वर्ष बाघों की मौत के मामलों में 61.90 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के अनुसार, इस साल अब तक केवल आठ बाघों की मौत हुई है, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 21 था। साथ ही, इस वर्ष बाघों के शिकार का कोई मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है, जो संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।

2022 में राज्य में बाघों की मौत के मामलों में लगातार वृद्धि देखी गई थी। 23 जनवरी को पहली मौत रिपोर्ट होने के बाद साल के अंत तक 21 मौतें दर्ज की गईं। इनमें प्राकृतिक मौतों के अलावा शिकार के मामले भी शामिल थे। शिकार के मामलों में बाघ की खालें बरामद हुईं, लेकिन उनके शिकार के स्थान का खुलासा नहीं हो सका।

2012 से सितंबर 2024 तक उत्तराखंड में 132 बाघों की मौत हो चुकी है, जिससे राज्य देश में चौथे स्थान पर है। मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 365 मौतें रिपोर्ट हुई हैं।

बाघों की अप्राकृतिक मौतों को रोकने के लिए राज्य में पेट्रोलिंग और मॉनिटरिंग में सुधार किया गया है। वन विभाग ने बाघों के वास स्थल को बेहतर बनाने और उनके भोजन और सुरक्षा की सुनिश्चितता के लिए प्रयास किए हैं। इको-टूरिज्म से जुड़े व्यक्तियों को भी इन प्रयासों में शामिल किया गया है।

 

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