विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी की जांच के लिए समिति ने दूसरे दिन भी विधानसभा में सात घंटे तक अभिलेख खंगाले

विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी की जांच के लिए समिति ने दूसरे दिन भी विधानसभा में सात घंटे तक अभिलेख खंगाले

देहरादून : विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी के प्रकरण की जांच के लिए गठित विशेषज्ञ जांच समिति ने दूसरे दिन सोमवार को भी विधानसभा में सात घंटे तक अभिलेख खंगाले।

समिति ने शनिवार को सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल के सील किए गए कक्ष को खुलवाकर वहां से कुछ पत्रावलियां कब्जे में लीं। बताते हैं कि प्रथम चरण में वर्ष 2012 से 2021 तक विधानसभा सचिवालय में हुई नियुक्तियों की पत्रावलियों की जांच की जा रही है।

समिति को माहभर के भीतर सौंपनी है अपनी जांच रिपोर्ट

विधानसभा में वर्ष 2021 में हुई 72 भर्तियों के मामले के तूल पकड़ने के बाद वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने शनिवार को इस प्रकरण की जांच के लिए विशेषज्ञ समिति गठित की। जांच के मद्देनजर सचिव विधानसभा को अग्रिम आदेशों तक छुट्टी पर भेज दिया था।

सेवानिवृत्त आइएएस डीके कोटिया की अध्यक्षता वाली समिति में सेवानिवृत्त आइएएस सुरेंद्र सिंह रावत व अवनेंद्र सिंह नयाल सदस्य हैं। तीनों ही कार्मिक मामलों के विशेषज्ञ हैं। समिति को माहभर के भीतर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी है। जांच भी दो चरणों में होनी है। उसे यह देखना है कि नियुक्तियों में नियम-कानूनों का पालन हुआ है अथवा नहीं।

इस सबको देखते हुए समिति ने बिना समय गंवाए रविवार से ही जांच शुरू कर दी। समिति के अध्यक्ष डीके कोटिया व सदस्य सुरेंद्र सिंह रावत सोमवार को भी सुबह लगभग साढ़े 10 बजे विधानसभा सचिवालय स्थित कमेटी रूम में पहुंचे और रविवार को एकत्र की गई पत्रावलियों का अध्ययन किया।

लगभग दो घंटे बाद समिति के अध्यक्ष व सदस्य की उपस्थिति में सचिव विधानसभा के कक्ष की सील खुलवाई गई। वहां से समिति ने कुछ फाइलें कब्जें में ली और फिर इस कक्ष को बंद करा दिया गया।

शाम को विशेषज्ञ समिति के तीसरे सदस्य अवनेंद्र सिंह नयाल भी विधानसभा पहुंचकर जांच कार्य में शामिल हो गए।शाम साढ़े पांच बजे समिति के अध्यक्ष व सदस्य विधानसभा से निकले।

बताते हैं कि समिति ने प्रथम चरण में विधानसभा की सेवा नियमावली-2011 लागू होने के बाद वर्ष 2012 से 2021 तक की नियुक्तियों से संबंधित पत्रावलियों का अध्ययन शुरू किया है। इसके पूर्ण होने के बाद राज्य गठन से लेकर वर्ष 2011 तक की नियुक्तियों की पड़ताल की जाएगी। तब उत्तर प्रदेश की नियमावली के अंतर्गत नियुक्तियां की गई थीं।

सचिव के उत्तरदायित्वों का निर्वहन करेंगे पंत

भर्ती प्रकरण की जांच के मद्देनजर लंबे अवकाश पर भेजे गए सचिव विधानसभा मुकेश सिंघल की अवकाश की अवधि में उनके उत्तरदायित्वों के साथ-साथ विधानसभा के नैतिक कार्यो का कार्यभार अग्रिम आदेशों तक उपसचिव (लेखा) हेमचंद्र पंत को सौंपा गया है।

विधानसभा अध्यक्ष के आदेशों के क्रम में यह व्यवस्था की गई है। इस अवधि में पंत किसी भी प्रकार का नीतिगत निर्णय नहीं लेंगे। साथ ही वित्त संबंधी निर्णय विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति प्राप्त कर ही संपादित करेंगे।

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