विज्ञान और जनभागीदारी से बहेगी जीवनदायिनी टोंस नदी, UCOST में बनी कार्ययोजना

विज्ञान और जनभागीदारी से बहेगी जीवनदायिनी टोंस नदी, UCOST में बनी कार्ययोजना

देहरादून – उत्तराखंड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) में गुरुवार को टोंस नदी के पुनर्जीवन अभियान को लेकर अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में वैज्ञानिक कार्ययोजना, वृक्षारोपण और जनभागीदारी से नदी की पारिस्थितिकी बहाल करने पर मंथन हुआ। यूकॉस्ट के महानिदेशक प्रो. दुर्गेश पंत ने कहा कि “नदी का पुनर्जीवन तभी संभव है जब विज्ञान और जन-जागरूकता का संतुलन हो।”

बैठक की शुरुआत डॉ. डी.पी. उनियाल के स्वागत संबोधन से हुई। उन्होंने अभियान को सामाजिक जिम्मेदारी बताते हुए कहा कि सभी की भूमिकाएं स्पष्ट होनी चाहिए। यूकॉस्ट के प्रो. दुर्गेश पंत ने इस पहल को “माँ धारा नमन” की संज्ञा दी और कहा कि टोंस व सोंग नदियां जीवनदायिनी हैं। उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशुतोष मिश्रा ने टोंस नदी की वर्तमान स्थिति और कार्ययोजना पर विस्तृत प्रस्तुति दी। पहले चरण में जिन पांच स्थलों की पहचान हुई है, वे हैं: उत्तरांचल विश्वविद्यालय की सीमा दीवार, नंदा की चौकी, उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के पीछे, सुद्धोवाला जेल के पीछे और शुभारती मेडिकल कॉलेज के पीछे।

उत्तरांचल विवि के कुलपति प्रो. धर्म बुद्धि ने संस्थानों से वृक्षारोपण की जिम्मेदारी लेने और पौधों के रखरखाव में सहयोग का सुझाव दिया। पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने निगरानी समिति गठित करने पर बल दिया।

बैठक में HESCO, IIRS, VMSB UTU, वन विभाग, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट, तुलाज इंस्टीट्यूट और CII सहित कई संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। सभी ने ऐसे पौधों के चयन का सुझाव दिया जिन्हें कम पानी की जरूरत हो और जो पशुओं से सुरक्षित हों।

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पद्म भूषण डॉ. अनिल प्रकाश जोशी के वीडियो संदेश में पौधों की सही प्रजातियों और वैज्ञानिक प्रबंधन पर ज़ोर दिया गया। प्रो. पंत ने डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाने, छात्रों के समूह गठित करने और सभी संस्थानों तक जानकारी पहुंचाने की बात कही।

बैठक का समापन वैज्ञानिक प्रतिबद्धता और सामूहिक प्रयासों की भावना के साथ हुआ, जिससे टोंस नदी के पुनर्जीवन की दिशा में ठोस कदम तय हुए।

Saurabh Negi

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