ट्रंप का डब्ल्यूएचओ से अलग होने का निर्णय, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संभावित दूसरे कार्यकाल के पहले दिन अमेरिका को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से अलग करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में बड़ा बदलाव लाएगा और वैश्विक महामारी प्रबंधन प्रयासों को कमजोर कर सकता है। जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लॉरेंस गोस्टिन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने इस योजना पर पहले ही काम शुरू कर दिया है। डब्ल्यूएचओ से हटने की प्रक्रिया ट्रंप ने 2020 में शुरू की थी, जिसमें उन्होंने संगठन को कोविड-19 के प्रसार के लिए चीन को ज़िम्मेदार ठहराने में विफल बताया था। हालांकि, जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनने के बाद इस निर्णय को रोक दिया।
डब्ल्यूएचओ से अलग होने का निर्णय अमेरिकी स्वास्थ्य एजेंसियों पर व्यापक प्रभाव डालेगा। ट्रंप ने स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष पदों पर संगठन के आलोचकों को नियुक्त किया है, जिनमें रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर भी शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका को वैश्विक स्वास्थ्य निगरानी प्रयासों से दूर कर देगा और चीन को इस स्थान का लाभ उठाने का मौका देगा।
डब्ल्यूएचओ पर असर
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडनोम गेब्रेयेसस ने अमेरिका से संगठन में बने रहने की अपील की है। आलोचकों का मानना है कि अमेरिका की वापसी से संगठन की क्षमता कमजोर होगी और वैश्विक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।