खाद्य संकट के चलते बढ़ रहे भालू हमले, उत्तराखंड में 25 वर्षों में 2081 मामले दर्ज

खाद्य संकट के चलते बढ़ रहे भालू हमले, उत्तराखंड में 25 वर्षों में 2081 मामले दर्ज

उत्तराखंड में भालू हमलों की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार पिछले 25 वर्षों में 2081 भालू हमले दर्ज किए गए, जिनमें 2010 लोग घायल हुए और 71 लोगों की मौत हुई। विशेषज्ञों ने इन बढ़ती घटनाओं के पीछे जंगलों में भोजन की कमी को मुख्य कारण बताया है।

राज्य के तराई क्षेत्रों में स्लॉथ बियर और पहाड़ी जिलों में हिमालयी काले भालू पाए जाते हैं। हाल के महीनों में विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में हमलों में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के अनुसार 2023 में 53 लोग घायल हुए, 2024 में 65, जबकि 2025 में 17 नवंबर तक 66 लोग घायल हो चुके हैं। साल 2024 और 2025 में क्रमशः तीन और छह मौतें भी दर्ज की गईं।

पूर्व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक श्रीकांत चंदोला ने कहा कि जंगलों में प्राकृतिक खाद्य स्रोतों की कमी के कारण भालुओं का हाइबरनेशन चक्र प्रभावित हो रहा है और वे भोजन की तलाश में ग्रामीण क्षेत्रों के करीब पहुंच रहे हैं। शोधकर्ता बताते हैं कि घरों के आसपास उगी घनी झाड़ियां भालुओं को छिपने की जगह देती हैं, जिससे जोखिम और बढ़ जाता है।

इसे भी पढ़ें – नैनीताल के चीना पीक पर 12वीं का छात्र लापता, पुलिस–SDRF की खोज जारी

वन विभाग ने रुड़्रप्रयाग, बागेश्वर, केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य, बागेश्वर वन प्रभाग और पिथौरागढ़ को उच्च जोखिम क्षेत्र चिह्नित किया है, जहां टीमों को विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि लोग अपने घरों के पास कचरा न फैलाएं, क्योंकि भोजन के अवशेष भालुओं को आकर्षित करते हैं। साथ ही जंगल क्षेत्रों में समूह में चलना सुरक्षित माना गया है।

Saurabh Negi

Share