उत्तराखंड: आसान नहीं बड़े होटलों और अस्पतालों का निर्माण

उत्तराखंड: आसान नहीं बड़े होटलों और अस्पतालों का निर्माण

पर्यावरणीय लिहाज से संवेदनशील दूनघाटी में भले ही 30 साल पुराने दूनवैली नोटिफिकेशन में संशोधन कर दिया गया हो, लेकिन इसमें नए बड़े होटलों और अस्पतालों की राह आसान नहीं है। 100 किलोलीटर से ज्यादा गंदा पानी छोड़ने वाले होटलों और इन्सुलेटर लगे अस्पतालों को नोटिफिकेशन में रेड श्रेणी में शामिल किया गया है। ये भी साफ किया गया है कि रेड श्रेणी (प्रदूषणकारी उद्योग) किसी भी दशा में यहां स्थापित करने को मंजूरी नहीं दी जाएगी। ऐसे में दूनघाटी में ऐसे नए होटल व अस्पताल नहीं खुल पाएंगे।

खुशनुमा आबोहवा की पहचान रखने वाले देहरादून में एक फरवरी 1989 को केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने दूनघाटी नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके बाद यहां लाइम स्टोन के खनन पर प्रतिबंध के साथ ही प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर रोक लगा दी गई थी।

अलबत्ता, कम प्रदूषणकारी उद्योगों को प्रदूषण सूचकांक के आधार पर ग्रीन व ऑरेंज श्रेणी में सशर्त अनुमति दी गई। बदली परिस्थितियों में नोटिफिकेशन में बदलाव की मांग लगातार उठती रही। सरकार ने भी इसके लिए पहल की। नतीजतन बीती छह जनवरी को केंद्र सरकार ने नोटिफिकेशन में संशोधन कर दिया।

ये साफ किया गया कि अब दूनघाटी में व्हाइट, ग्रीन व ऑरेंज श्रेणी के ही उद्योग लगेंगे। रेड श्रेणी के उद्योगों को पूरी तरह प्रतिबंधित किया गया। अब जबकि संशोधित नोटिफिकेशन का अध्ययन हो रहा है तो ये बात सामने आई है कि नए बड़े होटल व अस्पताल यहां अस्तित्व में नहीं आ पाएंगे।

राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण के अध्यक्ष डॉ.एसएस नेगी के अनुसार नोटिफिकेशन में व्यवस्था दी गई है कि 100 किलोलीटर प्रतिदिन गंदा पानी छोडऩे वाले होटल और जिन अस्पतालों में कचरा निस्तारण को इन्सुलेटर मशीनें लगेंगी, उन्हें रेड श्रेणी में माना जाएगा। ऐसे में रेड श्रेणी में आने के कारण ऐसे बड़े होटल व अस्पताल यहां नहीं बन सकेंगे। उन्होंने बताया कि दूनघाटी में उद्योग स्थापना के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति के मामलों में संशोधित दूनघाटी नोटिफिकेशन का अनुपालन सुनिश्चित कराया जाएगा।

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