उत्तराखंड में कफ सिरप पर सख्त निगरानी: 350 से अधिक सैंपल जांचे गए, दर्जनों मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द

उत्तराखंड में कफ सिरप पर सख्त निगरानी: 350 से अधिक सैंपल जांचे गए, दर्जनों मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द

देहरादून – मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर उत्तराखंड में बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए औषधि विभाग ने राज्यभर में कफ सिरप की बिक्री और गुणवत्ता पर बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के सहयोग से चल रहे इस अभियान के तहत अब तक 350 से अधिक नमूने जांच के लिए लिए गए, जबकि दर्जनों मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस निरस्त कर दिए गए हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि “राज्य में ऐसा कोई सिरप न बिके जो बच्चों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बने।” उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि हर जिले में मेडिकल स्टोर्स, फार्मा कंपनियों और अस्पतालों की जांच की जाए।

राज्यभर में औचक निरीक्षण जारी

देहरादून, ऋषिकेश, हल्द्वानी, अल्मोड़ा और बागेश्वर में औषधि निरीक्षकों की टीमों ने औचक निरीक्षण अभियान चलाया। अपर आयुक्त (FDA) ताजबर सिंह जग्गी के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान में कई स्थानों पर प्रतिबंधित सिरप का भंडारण मिलने पर उसे मौके पर ही सील किया गया।  देहरादून में औषधि निरीक्षक मानेंद्र सिंह राणा की टीम ने पलटन बाजार, जॉलीग्रांट और नेहरू कॉलोनी क्षेत्र में जांच के दौरान एक मेडिकल स्टोर बंद करवाया और 11 औषधियों के नमूने परीक्षण के लिए लिए। इसी तरह ऋषिकेश में औषधि निरीक्षक निधि रतूड़ी ने कई मेडिकल स्टोर्स से 6 नमूने संकलित किए।

हल्द्वानी के मुखानी क्षेत्र में सात मेडिकल स्टोर्स की जांच की गई, जिनमें से दो जगहों से कफ सिरप के नमूने लिए गए। अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों में भी औषधि विभाग की टीमों ने निरीक्षण कर कई सैंपल एकत्र किए।

स्वास्थ्य सचिव ने दी चेतावनी

स्वास्थ्य सचिव एवं एफडीए आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि बच्चों की सेहत से समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी जिलों से रोजाना रिपोर्ट ली जा रही है और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य मंत्री की अपील

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने डॉक्टरों और फार्मासिस्टों से अपील की है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित सिरप न दी जाए। उन्होंने कहा कि “बच्चों की सेहत सर्वोपरि है, इसलिए हर स्तर पर सतर्कता जरूरी है।”

अभियान जारी रहेगा

अपर आयुक्त (एफडीए) ताजबर सिंह जग्गी ने बताया कि यह अभियान चरणबद्ध तरीके से पूरे राज्य में जारी रहेगा। सरकार की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के नागरिकों, विशेषकर बच्चों को केवल सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण दवाएं ही मिलें।

Saurabh Negi

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