उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू के खिलाफ चार्जशीट, वन भूमि कब्जाने के मामले में एसआईटी की कार्रवाई

उत्तराखंड के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) बीएस सिद्धू और तत्कालीन अपर तहसीलदार शुजाउद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ विशेष जांच दल (एसआईटी) ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। मामला देहरादून के राजपुर स्थित मौजा वीरगिरवाली की वन भूमि को फर्जी दस्तावेजों के जरिए हस्तांतरित कराने से जुड़ा है।
एसआईटी जांच में यह सामने आया कि पूर्व डीजीपी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर सरकारी भूमि पर अवैध कब्जा किया और उसे अपने नाम रजिस्ट्री करवा लिया। दिलचस्प बात यह है कि वर्ष 2013 में इस मामले में मुकदमा दर्ज कराने वाला व्यक्ति नत्थूराम भी बाद में जांच में आरोपित पाया गया, क्योंकि उसने पहले ही विवादित भूमि किसी और को बेच दी थी।
कैसे खुला वन भूमि घोटाला?
अक्टूबर 2022 में मसूरी वन प्रभाग के तत्कालीन डीएफओ आशुतोष सिंह ने राजपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि कुछ अधिकारियों ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर वन भूमि को अपने नाम करवा लिया और राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर उसे वैध दिखाने की कोशिश की।
इस प्रकरण में वर्ष 2013 में नत्थूराम की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया था। जांच में यह सामने आया कि पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने नत्थूराम, दीपक शर्मा, सुभाष शर्मा, स्मिता दीक्षित, चमन सिंह और प्रभुदयाल के साथ मिलकर वीरगिरवाली, राजपुर स्थित वन भूमि के फर्जी दस्तावेज तैयार किए और अपनी रजिस्ट्री करा ली।
12 साल तक खिंचता रहा केस, 22 विवेचक बदले
मामला हाईप्रोफाइल होने के चलते 12 साल तक इसकी विवेचना अटकी रही।
- वर्ष 2013 में मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन प्रभावशाली हस्तियों के कारण चार्जशीट दाखिल नहीं हो पाई।
- 2016 में डीजीपी बीएस सिद्धू सेवानिवृत्त हो गए, फिर भी जांच ठप रही।
- 22 विवेचक इस केस में बदले गए, लेकिन कोई भी इसे निर्णायक रूप नहीं दे सका।
- 2022 में जब डीएफओ ने दोबारा मामला दर्ज कराया, तब पुलिस विभाग हरकत में आया और एसआईटी गठित की गई।
वर्ष 2023 में आईपीएस अधिकारी सर्वेश पंवार की देखरेख में एसआईटी ने इस मामले की जांच तेज की। जांच के बाद अप्रैल 2024 में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू, नत्थूराम, दीपक शर्मा, स्मिता दीक्षित, सुभाष शर्मा समेत अन्य आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई। अब हाल ही में वर्ष 2022 में डीएफओ की तहरीर पर दर्ज मुकदमे में भी पूर्व डीजीपी और तत्कालीन अपर तहसीलदार को सरकारी पद के दुरुपयोग के आरोपों में आरोपित बनाया गया है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एसआईटी ने इस मामले में ठोस साक्ष्य जुटाए हैं। वन भूमि घोटाले में शामिल अन्य आरोपितों के खिलाफ पहले ही चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी, अब पूर्व डीजीपी और अपर तहसीलदार पर भी कार्रवाई की गई है।
अब इस मामले की अगली सुनवाई कोर्ट में होगी, जहां एसआईटी द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों के आधार पर आरोपितों के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़ेगी।