उत्तराखंड में लागू होगा ‘ग्रीन सेस’: प्रदूषण रोकने और स्वच्छ परिवहन बढ़ाने की पहल

उत्तराखंड में सरकार ने पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए ‘ग्रीन सेस’ लागू करने का निर्णय लिया है। यह सेस अन्य राज्यों से उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले वाहनों पर लगाया जाएगा। इससे होने वाली आय को वायु प्रदूषण नियंत्रण, हरित अवसंरचना विकास और स्मार्ट ट्रैफिक प्रबंधन पर खर्च किया जाएगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य को स्वच्छ और प्रदूषण-रहित बनाने के लिए यह महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने बताया कि ग्रीन सेस से मिलने वाला राजस्व वायु गुणवत्ता सुधार और पर्यावरण अनुकूल ढांचा तैयार करने में उपयोग किया जाएगा।
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूकेपीसीबी) के सदस्य सचिव डॉ. पराग मधुकर धाकटे के अनुसार, देहरादून की वायु प्रदूषण में 55 प्रतिशत योगदान सड़क धूल का है, जबकि लगभग 7 प्रतिशत उत्सर्जन वाहनों से आता है। उन्होंने कहा कि ग्रीन सेस के साथ स्वच्छ वाहन नीति और सड़क धूल नियंत्रण उपाय वायु गुणवत्ता सुधार में मदद करेंगे।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में उत्तराखंड के शहरों ने बेहतर प्रदर्शन किया — ऋषिकेश 14वें और देहरादून 19वें स्थान पर रहा। सरकार का लक्ष्य ग्रीन सेस से प्राप्त धन से इन उपलब्धियों को और मजबूत करना है।
ग्रीन सेस के प्रमुख उद्देश्यों में शामिल हैं:
वायु प्रदूषण कम करना और AQI में सुधार
पुराने एवं प्रदूषणकारी वाहनों पर नियंत्रण
इलेक्ट्रिक वाहन एवं स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा
सड़क धूल नियंत्रण, हरित क्षेत्र विस्तार और एयर मॉनिटरिंग नेटवर्क मजबूत करना
ग्रीन सेस नीति की मुख्य बातें:
बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों पर लागू
इलेक्ट्रिक, हाइड्रोजन, सौर एवं बैटरी वाहनों को छूट
लगभग ₹100 करोड़ वार्षिक राजस्व का अनुमान
धन का उपयोग — वायु गुणवत्ता प्रबंधन, हरित अवसंरचना, स्मार्ट ट्रैफिक सिस्टम में
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राज्य सरकार का कहना है कि यह कदम उत्तराखंड को “क्लीन एयर – हेल्दी लिविंग” के मॉडल राज्य के रूप में स्थापित करेगा।



