CDSCO गाइडलाइन लागू करेगा उत्तराखंड, आइये जानें क्या है CDSCO गाइडलाइन…..

CDSCO गाइडलाइन लागू करेगा उत्तराखंड, आइये जानें क्या है CDSCO गाइडलाइन…..

देहरादून – उत्तराखंड सरकार ने राज्य में एक्सपायर्ड और अप्रयुक्त दवाओं के निस्तारण को लेकर बड़ा फैसला लिया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की गाइडलाइन को अब उत्तराखंड में लागू किया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव एवं आयुक्त FDA डॉ. आर. राजेश कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि राज्य सरकार अब दवाओं के निस्तारण की एक स्पष्ट, वैज्ञानिक और सुनियोजित प्रणाली विकसित करने जा रही है। उत्तराखंड की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर यह पहल ‘हरित स्वास्थ्य प्रणाली’ की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। डॉ. कुमार ने कहा, “अब तक दवाओं के निस्तारण की कोई ठोस और संगठित प्रक्रिया नहीं थी, जो खासकर उत्तराखंड जैसे पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील राज्य में बड़ी चुनौती रही है। नई गाइडलाइन दवाओं के निर्माण से लेकर उपभोग और निस्तारण तक की प्रक्रिया को नियंत्रित करेगी।”

प्रदेशभर में बनेंगी ‘ड्रग टेक-बैक साइट्स’
स्वास्थ्य विभाग ने घोषणा की है कि जल्द ही राज्य के शहरी, अर्ध-शहरी और पर्वतीय क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से ‘ड्रग टेक-बैक साइट्स’ स्थापित की जाएंगी। यहां आम नागरिक अपने घरों में रखी एक्सपायर्ड या अनुपयोगी दवाएं जमा करा सकेंगे। इन दवाओं का वैज्ञानिक ढंग से संग्रह कर अधिकृत प्रोसेसिंग यूनिट्स में सुरक्षित निस्तारण किया जाएगा।

इसे भी पढ़ें – गर्दन आर-पार छड़ी से घायल मज़दूर की जान बचाई, महंत इन्दिरेश अस्पताल में हुई सर्जरी

CDSCO की गाइडलाइन क्या कहती है?
गाइडलाइन के मुताबिक, दवाओं को उनकी स्थिति के आधार पर एक्सपायर्ड, अप्रयुक्त, रीकॉल की गई या कोल्ड चेन में खराब हुई श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा। निस्तारण के लिए इनसिनरेशन और एन्कैप्सुलेशन जैसी आधुनिक तकनीकों का प्रयोग होगा। साथ ही, कलर-कोडेड वेस्ट बैग्स, ट्रैकिंग सिस्टम और लॉग बुक की व्यवस्था से पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी और ट्रेस करने योग्य बनाया जाएगा। यह गाइडलाइन WHO और बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के अनुरूप है।

अपर आयुक्त FDA व ड्रग कंट्रोलर ताजबर सिंह जग्गी ने कहा, “अब निर्माता कंपनियों से लेकर थोक विक्रेताओं, खुदरा दुकानों, अस्पतालों और आम उपभोक्ताओं तक सभी की जवाबदेही तय की जाएगी।” उन्होंने बताया कि एक मजबूत थर्ड पार्टी मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित किया जा रहा है। साथ ही, ई-ड्रग लॉग सिस्टम के माध्यम से डाटा की रीयल टाइम निगरानी और ऑडिट की व्यवस्था की जाएगी।

पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए अहम पहल
ड्रग कंट्रोलर ने यह भी चेतावनी दी कि अगर दवाओं का अनियंत्रित निस्तारण जारी रहा, तो यह राज्य के जलस्रोतों और पारिस्थितिकी तंत्र को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। इसके अलावा, बच्चों और जानवरों के संपर्क में आने से स्वास्थ्य जोखिम भी बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार अब व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाएगी, ताकि आम जनता भी इस व्यवस्था का हिस्सा बन सके।

Saurabh Negi

Share