CAG रिपोर्ट: उत्तराखंड कर्मकार बोर्ड में बड़े घोटाले, साइकिल-टूलकिट और राशन किट का नहीं कोई हिसाब

CAG रिपोर्ट: उत्तराखंड कर्मकार बोर्ड में बड़े घोटाले, साइकिल-टूलकिट और राशन किट का नहीं कोई हिसाब

उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड, जिसे श्रमिकों के हितों की रक्षा और उनके कल्याण के लिए गठित किया गया था, खुद ही अनियमितताओं और घोटालों का केंद्र बन गया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट में बोर्ड की गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों को उजागर किया गया है।

बिना बजट स्वीकृति के करोड़ों खर्च

कैग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच बोर्ड ने कोई बजट तैयार नहीं किया और बिना सरकार की स्वीकृति के 607.09 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। बोर्ड को निर्माण कार्यों के उपकर से आय होती है, जिसे श्रमिकों के कल्याण में खर्च किया जाना चाहिए, लेकिन बोर्ड ने उपकर के आकलन और योजनाओं के वित्तीय व भौतिक लक्ष्यों को निर्धारित करने की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया।

साइकिल और टूलकिट वितरण में बड़ा घोटाला

बोर्ड ने 32.78 करोड़ रुपये से 83,560 साइकिलें खरीदीं, लेकिन इनमें से 10.82 करोड़ रुपये की 31,645 साइकिलों का कोई अता-पता नहीं है। देहरादून जिले में खरीदी गई 37,665 साइकिलों में से केवल 6,020 साइकिलें ही श्रमिकों को वितरित होने का दावा किया गया। इसी तरह, 33.23 करोड़ रुपये से खरीदी गई 22,426 टूलकिट में से 22,255 टूलकिट गायब हैं। उप श्रमायुक्त देहरादून ने केवल 171 टूलकिट प्राप्त और वितरित करने की पुष्टि की।

फर्जी वितरण और बिना अनुमोदन खरीद

कैग की रिपोर्ट के मुताबिक, राशन किट की खरीद और वितरण में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आई हैं। करीब 63 करोड़ रुपये की राशन किट बिना सरकारी अनुमोदन के खरीदी गईं और इनका वितरण भी अपारदर्शी रहा। कई गैर-पंजीकृत श्रमिकों को किट प्रदान की गईं, जबकि केंद्र सरकार पहले ही प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 80 करोड़ लोगों को राशन उपलब्ध करा रही थी।

डीबीटी का उपयोग नहीं, अपात्रों को 215 करोड़ रुपये वितरित

बोर्ड ने श्रमिकों को आर्थिक सहायता प्रदान करने में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) का उपयोग नहीं किया और 240 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे वितरित कर दी। इसमें से 215 करोड़ रुपये 5.47 लाख अपात्र लाभार्थियों को दे दिए गए, जो सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश का उल्लंघन है।

वृद्धावस्था और दिव्यांग पेंशन में आवेदन ही नहीं

बोर्ड की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक वृद्धावस्था और दिव्यांग पेंशन है, लेकिन हैरानी की बात यह है कि इस योजना के तहत कोई आवेदन प्राप्त ही नहीं हुआ। इसके बजाय, कंबल, साइकिल, टूलकिट और राशन किट जैसी सहायता में भारी खर्च किया गया और उनमें अनियमितताएं भी देखी गईं।

आईटी एजेंसी से कराई गई गैर-सम्बंधित वस्तुओं की खरीद

बोर्ड ने साइकिल, टूलकिट और राशन किट जैसी वस्तुओं की खरीद के लिए आईटी सेवाओं के लिए पंजीकृत कंपनियों – आईटीआई लिमिटेड और टीसीआईएल लिमिटेड – का चयन किया। इन एजेंसियों ने इन खरीद पर छह करोड़ रुपये से अधिक की राशि कमीशन के रूप में प्राप्त की।

उपकर वसूली में लापरवाही

कैग की जांच में पाया गया कि देहरादून और ऊधम सिंह नगर में भवन और अन्य निर्माण कार्यों के दौरान उपकर वसूली में भारी गड़बड़ी हुई। देहरादून एमडीडीए में 13.73 करोड़ रुपये और जिला विकास प्राधिकरण ऊधम सिंह नगर में 28.77 करोड़ रुपये की कम वसूली हुई। इसके अलावा, कई मामलों में करोड़ों रुपये का हिसाब नहीं मिल रहा है।

निर्माण कार्यों के पंजीकरण में भारी अनियमितता

कैग की सैंपल जांच में पाया गया कि देहरादून और ऊधम सिंह नगर में 17,655 निर्माण कार्य गतिमान थे, लेकिन उनमें से केवल एक का ही कर्मकार कल्याण बोर्ड में विधिवत पंजीकरण हुआ था। यह दर्शाता है कि श्रमिकों के लिए निर्धारित उपकर वसूली में भारी अनियमितता बरती गई।

इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड ने अपने मूल उद्देश्य से भटककर अनियमितताओं और भ्रष्टाचार का अड्डा बना लिया है।

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कोविडकाल में राशन किट वितरण में भी गड़बड़ी

बोर्ड ने मई 2020 में पंजीकृत श्रमिकों को डोर-टू-डोर राशन किट बांटने का आदेश दिया था। 9.36 करोड़ रुपये की 75,000 राशन किट खरीदी गईं, लेकिन ये उन लोगों को वितरित की गईं, जो पंजीकृत ही नहीं थे। रिपोर्ट में सवाल उठाया गया है कि आईटीआई लिमिटेड, जो आईटी सेवाओं के लिए पंजीकृत थी, से ही 53.58 करोड़ की राशन किट क्यों खरीदी गईं। इतना ही नहीं, कंपनी ने नियम विरुद्ध 3.51 करोड़ रुपये का सेंटेज शुल्क भी वसूला।

बिना कमाए सरकारी धन खर्च

बोर्ड ने निर्माण कार्यों के पंजीकरण में लापरवाही बरती, जिससे 88.27 लाख रुपये की हानि हुई। 2017-18 से 2021-22 तक अनुमापित प्राप्ति और व्यय के आंकड़े बिना बजट अनुमोदन के प्रस्तुत किए गए, बावजूद इसके 607.09 करोड़ रुपये बिना सरकारी स्वीकृति के खर्च कर दिए गए। 15,381 भवन योजनाओं से 13.04 करोड़ रुपये कम उपकर वसूला गया। इसके अलावा, कार्यस्थलों पर श्रमिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य मानकों को लागू करने में भी बोर्ड पूरी तरह विफल रहा।

Saurabh Negi

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