देहरादून में गुलदार-मानव संघर्ष को कम करने पर हुई बैठक, तेंदुए से डर नहीं, समझ जरूरी: वन विभाग

देहरादून में गुलदार-मानव संघर्ष को कम करने पर हुई बैठक, तेंदुए से डर नहीं, समझ जरूरी: वन विभाग

देहरादून, 13 जून 2025 – उत्तराखंड में तेंदुए (गुलदार) और इंसानों के बीच बढ़ते टकराव को रोकने के लिए देहरादून में एक बैठक हुई। इसमें वन विभाग उत्तराखंड  के बड़े अफसरों, जानवरों के विशेषज्ञों और कुछ सामाजिक संगठनों ने मिलकर इस गंभीर समस्या पर चर्चा की।  वन विभाग का कहना है कि तेंदुए को देखकर डरना नहीं चाहिए, बल्कि उसे समझना जरूरी है। तेंदुए तभी हमला करते हैं जब वे खुद को खतरे में महसूस करते हैं या उन्हें जंगल में खाना नहीं मिलता। रंजन मिश्रा, मुख्य वन्यजीव संरछक, ने बताया कि ज्यादातर टकराव अफवाहों और गलतफहमियों की वजह से होते हैं। लोगों को तेंदुए के व्यवहार के बारे में सही जानकारी होनी चाहिए।

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गाइड बुक भी जारी – बैठक में “तेंदुए के साथ रहना” नाम की एक छोटी किताब भी जारी की गई, जिसमें बताया गया है कि तेंदुए के आस-पास रहते हुए क्या करें और क्या न करें। इसका मकसद है कि लोग बिना डर के तेंदुए के साथ सुरक्षित तरीके से रह सकें। वन विभाग के अनुसार 2016 से उत्तराखंड में “तेंदुओं के साथ सह-अस्तित्व” नाम का एक प्रोग्राम भी चल रहा है। इसके तहत गांवों में जाकर लोगों को जानकारी दी जाती है, पुराने हादसों का रिकॉर्ड तैयार किया जाता है और यह समझा जाता है कि तेंदुए इंसानी बस्तियों की ओर क्यों आते हैं।

वन विभाग का कहना है कि लोगों को सही जानकारी देना, बच्चों को जागरूक करना और गांवों में सुरक्षा के इंतजाम करना इस समस्या का हल है। साथ ही, हर घटना को समझकर उसका स्थायी समाधान निकालना भी जरूरी है।

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बैठक में प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक रंजन मिश्रा, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. साकेत बडोला और राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक डॉ. कोको रोज जैसे वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे।

Saurabh Negi

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