खिलाड़ियों का खेल खत्म, अब सरकार की बारी

उत्तराखंड ने 38वें राष्ट्रीय खेलों में पहली बार 101 पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। राज्य की बेटी ज्योति ने वुशु में पहला पदक दिलाया, जिसके बाद बॉक्सिंग, एथलेटिक्स, मॉडर्न पेंटाथलॉन, जूडो, कैनोइंग-कयाकिंग, योगासन, लॉन बॉल और कुश्ती में खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन किया। अब सरकार की बारी है कि वह इन विजेताओं को उनका हक दे। पदक विजेताओं को राज्य सरकार तय धनराशि के साथ नौकरी भी देने का वादा किया है।
उत्तराखंड के लिए ऐतिहासिक प्रदर्शन
मॉडर्न पेंटाथलॉन में राज्य के खिलाड़ियों ने सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया, जिसमें ममता खत्री, मोनिका, मंजू गोस्वामी, सक्षम सिंह, नीरज नेगी और लाल सिंह ने स्वर्ण पदक जीते। इस खेल में उत्तराखंड को छह स्वर्ण समेत कुल 14 पदक मिले।
बॉक्सिंग में कपिल पोखरिया, निवेदिता कार्की और नरेंद्र सिंह ने स्वर्ण पदक हासिल किए। एथलेटिक्स में अंकिता ध्यानी ने 3000 मीटर और 5000 मीटर दौड़ में स्वर्ण, जबकि 10,000 मीटर रेस में रजत पदक जीता। कैनोइंग और कयाकिंग में पांच, ताइक्वांडो, जूडो और एथलेटिक्स में दो-दो स्वर्ण पदक आए।
कुश्ती में उत्तम राणा, महिला कयाकिंग में सोनिया, रोजी देवी, मीरा दास, प्रभात कुमार, जूडो में सिद्धार्थ रावत, ताइक्वांडो में पूजा, लॉन बॉल में उत्कृष्ट द्विवेदी, योगासन में रोहित यादव, शशांक शर्मा, प्रियांशु, अजय वर्मा, कैनोइंग और कयाकिंग में रीना सैन तथा वुशु में अचोम तपस ने पदक जीतकर राज्य का नाम रोशन किया।
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अब सरकार को निभाना होगा वादा
राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को सरकार की ओर से तय नकद पुरस्कार दिए जाएंगे। स्वर्ण पदक विजेताओं को प्रति पदक 12 लाख रुपये, रजत पदक विजेताओं को प्रति पदक 08 लाख रुपये, और कांस्य पदक विजेताओं को छह लाख रुपये मिलेंगे। अंकिता ध्यानी को उनके दो स्वर्ण और एक रजत पदक के लिए 32 लाख रुपये दिए जाएंगे।
खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकार नीति के तहत नौकरी भी देगी। अब देखना होगा कि सरकार अपने वादे पर कितनी जल्दी अमल करती है और खिलाड़ियों के भविष्य को संवारने के लिए कितनी गंभीर है।