उत्तराखंड में अब तक अधूरा है नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का सपना, 12 साल से लटकी योजना

उत्तराखंड – उत्तराखंड में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (एनएलयू) की स्थापना का सपना 12 वर्षों बाद भी साकार नहीं हो पाया है। वर्ष 2012 में इसका गजट नोटिफिकेशन हुआ था, लेकिन आज तक जमीन पर एक ईंट तक नहीं रखी गई। इसी अवधि में बने राज्यों—छत्तीसगढ़ (2003) और झारखंड (2010)—में एनएलयू की स्थापना हो चुकी है और वहां के छात्र लाभ भी ले रहे हैं। उत्तराखंड हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय के लिए ऊधमसिंह नगर में स्थान तय हुआ, लेकिन भूमि उपलब्ध न होने से योजना अटक गई। इसके बाद वर्ष 2019 में देहरादून के रानीपोखरी क्षेत्र में रेशम विभाग की 10 एकड़ भूमि पर विधिवत शिलान्यास किया गया। प्रारंभिक कार्य के लिए 50 लाख रुपये भी स्वीकृत हुए, लेकिन संपर्क मार्ग व भौगोलिक स्थितियों को लेकर अधिकारियों ने आपत्ति जताई।

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राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के मानकों के अनुसार यह स्थान उपयुक्त नहीं बताया गया। मामला पुनः न्यायालय में गया और तब से लेकर अब तक योजना ठंडे बस्ते में है।

इस बीच राज्य के विधि छात्रों को राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों में मिलने वाले राज्य कोटे के लाभ से भी वंचित रहना पड़ा है। देश के 26 एनएलयू में कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के माध्यम से प्रवेश होता है, और प्रत्येक राज्य अपने छात्रों के लिए आरक्षण देता है। उत्तराखंड में एनएलयू न होने से यहां के छात्रों को यह विशेष अवसर नहीं मिल पाता।

विधि विशेषज्ञ एसएन उपाध्याय का मानना है कि यदि उत्तराखंड में एनएलयू की स्थापना होती, तो राज्य को शैक्षिक पर्यटन और आर्थिक विकास में भी लाभ मिलता। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वीकार किया है कि भूमि पूजन हो चुका है, पर मामला फिलहाल कोर्ट में लंबित है और आगे की कार्रवाई न्यायालय के निर्देशानुसार ही की जाएगी।

Saurabh Negi

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