उत्तराखंड में खत्म होने की कगार पर 100 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था

उत्तराखंड में खत्म होने की कगार पर 100 साल पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था

उत्तराखंड – उत्तराखंड में एक सदी पुरानी राजस्व पुलिस व्यवस्था अब समाप्ति की ओर बढ़ रही है। राज्य सरकार ने दूसरे चरण में 1983 राजस्व गाँवों को नियमित पुलिस के अधिकार क्षेत्र में शामिल करने की औपचारिक मंजूरी दे दी है। ये गाँव अब 44 पुलिस थानों और 33 पुलिस चौकियों में सम्मिलित किए गए हैं।

सरकार की योजना के तहत 2440 और राजस्व गाँवों को भी नियमित पुलिस व्यवस्था के तहत लाया जाएगा। इसके लिए नौ नए पुलिस थाने और 44 रिपोर्टिंग चौकियाँ स्थापित करने का प्रस्ताव वित्त विभाग के अनुमोदन के लिए भेजा गया है। पुलिस विभाग पहले ही शेष 4423 राजस्व गाँवों को नियमित पुलिस प्रणाली में लाने की विस्तृत योजना प्रस्तुत कर चुका है।

पहले चरण में दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच कुल 3157 गाँवों को नियमित पुलिस के दायरे में लाया गया था। इनमें से लगभग 1800 गाँवों को 52 मौजूदा पुलिस थानों और 19 चौकियों से जोड़ा गया, जबकि 1357 गाँवों के लिए छह नए थाने और 20 चौकियाँ बनाई गई थीं।

राजस्व पुलिस व्यवस्था को समाप्त करने की प्रक्रिया अंकिता भंडारी हत्याकांड (यमकेश्वर, पौड़ी) के बाद तेज हुई थी। सितंबर 2022 में हुए इस मामले की शुरुआती जाँच में राजस्व पुलिस स्तर पर हुई गंभीर चूक ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े किए थे। इसके बाद सरकार और उच्च न्यायालय, दोनों ने राज्य में राजस्व पुलिस प्रणाली को धीरे-धीरे समाप्त करने के निर्देश दिए। इसी क्रम में पूरे राज्य में सर्वे कराया गया ताकि गाँवों को चरणबद्ध तरीके से नियमित पुलिस संरचना में जोड़ा जा सके।

ताज़ा स्वीकृति के साथ अब तक 1983 गाँव नियमित पुलिस कवरेज में आ चुके हैं, जबकि 2440 गाँवों को शामिल करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इसके बाद उत्तराखंड की विशिष्ट राजस्व पुलिस व्यवस्था — जो देश में केवल यहीं लागू थी — पूरी तरह समाप्त हो जाएगी और पूरे राज्य में एक समान पुलिसिंग व्यवस्था लागू हो जाएगी।

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गृह सचिव शैलेश बगौली ने बताया कि सरकार ने जिन गाँवों को मौजूदा थानों और चौकियों से जोड़ा जाना था, उसकी मंजूरी दे दी है। वहीं, नए थानों और चौकियों के लिए प्रस्ताव फिलहाल वित्त विभाग के विचाराधीन है।

Saurabh Negi

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