उत्तराखंड में सड़क हादसे बढ़े, नौ महीनों में 1747 दुर्घटनाएं दर्ज
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उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। परिवहन विभाग की सख्ती और जागरूकता अभियानों के बावजूद, इस वर्ष सड़क हादसों में वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले वर्ष जहां कुल 1691 सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, वहीं इस बार दिसंबर तक यह आंकड़ा बढ़कर 1747 पहुंच गया है। अभी मार्च 2025 तक के शेष तीन महीनों का डाटा आना बाकी है, जिससे यह संख्या और बढ़ सकती है। परिवहन निगम ने आगामी वित्तीय वर्ष में अपनी आय को 700 करोड़ रुपये से अधिक करने का लक्ष्य रखा है। इसके साथ ही, रोडवेज बसों की लाइव लोकेशन ट्रैक करने के लिए सभी बसों में जीपीएस सिस्टम लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे अनधिकृत मार्गों पर बसों के संचालन को रोका जा सकेगा और यात्रियों को भी बसों की स्थिति की सटीक जानकारी मिल सकेगी।
वर्षवार सड़क हादसों के आंकड़े
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं, मृतकों और घायलों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है।
वर्ष | सड़क दुर्घटनाएं | मृतक | घायल |
---|---|---|---|
2020 | 1041 | 674 | 854 |
2021 | 1405 | 820 | 1091 |
2022 | 1674 | 1042 | 1613 |
2023 | 1691 | 1054 | 1488 |
2024 (दिसंबर तक) | 1747 | 1090 | 1547 |
सड़क सुरक्षा को लेकर उठाए गए कदम
परिवहन विभाग सड़क हादसों को कम करने के लिए कई नई योजनाओं पर काम कर रहा है। देहरादून, रुद्रपुर, हल्द्वानी, विकासनगर, रुड़की और हरिद्वार में ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग लेन पहले से संचालित हो रही हैं, जबकि टनकपुर में इसकी प्रक्रिया जारी है। वहीं, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और उत्तरकाशी जैसे पर्वतीय जिलों में निर्माण कार्य तेजी से हो रहा है। पौड़ी में भी टेस्टिंग स्टेशन के लिए भूमि चयन और डीपीआर का काम चल रहा है। इसके अलावा, गढ़वाल मंडल में 25 इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) चार्जिंग स्टेशन पहले ही लगाए जा चुके हैं, और अब कुमाऊं क्षेत्र में 41 नए चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना की जा रही है।
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रोडवेज बसों की लाइव लोकेशन ट्रैकिंग होगी
परिवहन निगम ने अपनी बसों के संचालन को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए सभी रोडवेज बसों में जीपीएस आधारित उपकरण लगाने का निर्णय लिया है। इससे बसों की वास्तविक समय (रियल-टाइम) में लोकेशन ट्रैक की जा सकेगी और अनधिकृत मार्गों पर बसों के संचालन को रोका जा सकेगा।
इसके अलावा, निगम की कार्यशालाओं में उपलब्ध भंडारों (स्टॉक) को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए एनआईसी के सहयोग से इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है। यह कदम कार्यशालाओं के प्रबंधन को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करेगा।