मुख्यमंत्री धामी ने की सड़कों और पुलों पर करोड़ों की धनवर्षा, लेकिन क्या फाइलों से बाहर धरातल पर आएंगी ये योजनाएं?

उत्तराखंड – उत्तराखंड सरकार ने सड़क और पुल निर्माण के लिए कई जिलों को करोड़ों की सौगात दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा राज्य योजना के अंतर्गत पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, चम्पावत और देहरादून जनपदों में कुल छह विकास कार्यों के लिए बड़ी धनराशि स्वीकृत की गई है। सरकार के अनुसार, ये परियोजनाएं दूरस्थ क्षेत्रों में आवागमन सुगम बनाएंगी और स्थानीय विकास को गति देंगी।
धारचूला क्षेत्र के तवाघाट-थानीधार मोटर मार्ग के डामरीकरण के लिए ₹3.44 करोड़, कपकोट में सौंग-खलीचार हल्का वाहन मार्ग के सुधारीकरण हेतु ₹4.15 करोड़, भीमताल में भीड़ापानी-खुजेटी मोटर मार्ग के सुधार के लिए ₹3.27 करोड़ और पंगोट-देचौरी मार्ग के नवनिर्माण के लिए ₹8.19 करोड़ की धनराशि को स्वीकृति प्रदान की गई है।
इसी तरह चम्पावत जिले में सूखीढांग-श्यामलाताल मोटर मार्ग को सिंगल लेन से टू लेन में बदले जाने के लिए ₹4.01 लाख और देहरादून के धर्मपुर क्षेत्र में दीपनगर एवं केदारपुरम को जोड़ने वाले हरे पुल के स्थान पर सेतु निर्माण के लिए ₹3.56 करोड़ मंजूर किए गए हैं।
सरकारी स्तर पर ये घोषणाएं एक सकारात्मक संकेत देती हैं और यह संदेश जाता है कि प्रदेश सरकार विकास के प्रति सजग है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये योजनाएं समयबद्ध तरीके से धरातल पर भी उतरेंगी?
जनता के मन में यह संदेह यूं ही नहीं है। कैंची धाम बाईपास की तरह पहले भी कई परियोजनाएं स्वीकृति के बाद वर्षों तक काग़ज़ों में ही दबी रही हैं। कहीं तकनीकी स्वीकृति नहीं मिल पाई, तो कहीं निविदाएं अटक गईं। और जब तक प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी होती है, तब तक नई घोषणाएं पुराने वादों को ढक देती हैं।
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सरकारी फाइलों से पास हुई योजनाएं, बजट आवंटन, और ऊंचे-ऊंचे दावे—ये सब सुर्खियां जरूर बनाते हैं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई अक्सर इससे कोसों दूर होती है।
अब देखना ये होगा कि जिन सड़कों और पुलों पर जनता को भविष्य की उम्मीद दी गई है, क्या उन पर जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होता है, या फिर ये भी “फॉलो-अप” रिपोर्ट्स में सिर्फ एक और अधूरी योजना बनकर रह जाएंगी?