शिक्षा मंत्री के भाषण के दौरान शिक्षक ने मंच पर उठाई व्यवस्था , शासन ने जवाबतलब कर दिया

शिक्षा मंत्री के भाषण के दौरान शिक्षक ने मंच पर उठाई व्यवस्था , शासन ने जवाबतलब कर दिया

देहरादून, 19 मई – उत्तराखंड की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाना अब शिक्षकों के लिए आसान नहीं रहा। गढ़वाल मंडल के एक शिक्षक द्वारा मंच पर जाकर शिक्षा मंत्री के संबोधन के दौरान शिक्षा से जुड़ी वास्तविक समस्याएं उठाना इतना महंगा पड़ गया कि अब उनसे जवाबतलब किया जा रहा है।

मामला पौड़ी जिले के पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज ग्वाड़ देवलधार में आयोजित वार्षिकोत्सव और प्रतिभा सम्मान समारोह का है, जहां मुख्य अतिथि के रूप में शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत में जब मंत्री ने जनप्रतिनिधियों व स्टाफ से समस्याएं पूछीं, तभी शिक्षक ललित मोहन सती मंच तक पहुंच गए और उन्होंने बिना लाग-लपेट के शिक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया।

शिक्षक ने स्पष्ट कहा कि वर्षों से सरकारी विद्यालयों में प्रधानाचार्य नहीं हैं, शिक्षकों की पदोन्नति लटकी पड़ी है। यह सुनकर मंच पर असहजता फैल गई। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने शिक्षक को रोकने की कोशिश की, लेकिन बात पहले ही सामने आ चुकी थी।

अब अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक शिक्षा), गढ़वाल मंडल की ओर से शिक्षक को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया गया है। आदेश में कहा गया है कि शिक्षक ने “अनुचित तरीके” से मंच पर जाकर “अवांछनीय व अमर्यादित” वक्तव्य दिए। शिक्षा मंत्री के कार्यक्रम में “बिना अनुमति” मंच तक पहुंचना अनुशासनहीनता माना गया है।

इस कार्रवाई ने सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या अब शिक्षक मंच से केवल तालियां बजाने के लिए बुलाए जाते हैं? क्या शिक्षा व्यवस्था की हकीकत सामने लाने पर उन्हें दंडित किया जाएगा? जबकि शिक्षा मंत्री स्वयं मंच से समस्याएं पूछ रहे थे, ऐसे में शिक्षक द्वारा अपनी पीड़ा व्यक्त करना यदि अपराध है, तो यह लोकतांत्रिक प्रणाली पर गहरा प्रश्नचिन्ह है।

Saurabh Negi

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