दिव्यांगता प्रमाण पत्र से फर्जी नियुक्ति: 52 में से 37 शिक्षक टिहरी में तैनात, विभागीय जांच में बड़ा खुलासा

उत्तराखंड में सरकारी नौकरी पाने के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र के दुरुपयोग का एक बड़ा मामला सामने आया है। शिक्षा विभाग की जांच में पता चला है कि कुल 52 शिक्षक—एलटी और प्रवक्ता संवर्ग—गलत दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त हुए थे। इनमें से सर्वाधिक 37 शिक्षक टिहरी जनपद में कार्यरत पाए गए हैं, जबकि देहरादून में सात, हरिद्वार और पौड़ी में तीन-तीन तथा उत्तरकाशी में दो शिक्षक तैनात हैं।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, ये नियुक्तियां वर्ष 1987 से 2019 के बीच हुईं। कई शिक्षकों ने गलत दस्तावेज़ों का प्रयोग कर स्वयं को दिवंगत सरकारी कर्मचारियों के आश्रित या दिव्यांग दिखाकर नियुक्ति प्राप्त की। विभागीय जांच में यह सामने आया कि इन 52 शिक्षकों में से पांच सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि छह लंबे समय से अनुपस्थित चल रहे हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. मुकुल कुमार सती ने पुष्टि की कि सभी आरोपित शिक्षकों के सेवा अभिलेखों की गहन जांच की जा रही है। सभी जिलों से विवरण जुटाकर अद्यतन सूची तैयार कर ली गई है। पूर्व की रिपोर्टों में भी यह पाया गया था कि कई शिक्षक गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर सरकारी सेवा में आ गए थे।
जैसे-जैसे दस्तावेज़ों का सत्यापन आगे बढ़ा, यह पूरा फर्जीवाड़ा उजागर होता गया। विभागीय सख्ती बढ़ाई गई, जिसके बाद इन मामलों की पहचान तेज हुई। विभाग ने स्पष्ट किया है कि यदि फर्जी नियुक्ति साबित होती है तो संबंधित शिक्षकों पर सेवा से बर्खास्तगी, वेतन वसूली और अन्य कार्रवाई की जाएगी।
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राज्य की शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए विभाग इस जांच को जल्द अंतिम रूप देने की तैयारी में है। शासन द्वारा गठित पांच सदस्यीय कमेटी की अध्यक्षता डा. सती कर रहे हैं और दोषी पाए जाने वालों को किसी भी परिस्थिति में बख्शा नहीं जाएगा।




