बढ़ता पर्यटन और संतुलित प्रबंधन की जरूरत: उत्तराखंड के तीर्थ व पर्यटन स्थलों पर बढ़ता दबाव

बढ़ता पर्यटन और संतुलित प्रबंधन की जरूरत: उत्तराखंड के तीर्थ व पर्यटन स्थलों पर बढ़ता दबाव

देहरादून: मात्र 25 वर्षों में उत्तराखंड ने पर्यटन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। चारधाम यात्रा, कुंभ मेला और कांवड़ यात्रा ने राज्य को वैश्विक धार्मिक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाया है। लेकिन हर वर्ष बढ़ती यात्रियों की संख्या के साथ अब विशेषज्ञ सुविधाओं के विस्तार और संतुलित भीड़ प्रबंधन पर बल दे रहे हैं ताकि यात्रियों को सुरक्षित और सहज अनुभव मिल सके।

राज्य के पवित्र धामों—केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, आदि कैलाश, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और हेमकुंड साहिब—में हर साल रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वहीं सामान्य पर्यटक अब भी मुख्य रूप से मसूरी, नैनीताल, हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे स्थानों तक सीमित हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कम प्रसिद्ध क्षेत्रों को पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित किया जाए, तो इससे न केवल भीड़ का दबाव घटेगा बल्कि स्थानीय रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।

चारधाम यात्रा सीजन के दौरान अत्यधिक भीड़ से अक्सर व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं। सबसे बड़ी समस्या है बढ़ती संख्या में श्रद्धालुओं के लिए आवासीय सुविधाओं की कमी। जहां एक ओर हेलीकॉप्टर सेवाएं संपन्न यात्रियों के लिए यात्रा को आसान बना रही हैं, वहीं हजारों श्रद्धालु आज भी 19–20 किलोमीटर पैदल यात्रा कर केदारनाथ धाम पहुंचते हैं और अस्थायी टेंटों में रुकते हैं। ऐसे में प्रशासन को बेस कैंपों के विकास और प्रमुख ठहराव स्थलों पर सुविधाओं के विस्तार पर ध्यान देना होगा।

चारधाम यात्रा में 2023 में 56 लाख, 2024 में 48 लाख, और 2025 में अब तक 50 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंच चुके हैं — यह संख्या बढ़ती चुनौतियों को दर्शाती है। वहीं राज्य सरकार ‘वेडिंग डेस्टिनेशन उत्तराखंड’ की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। त्रियुगीनारायण मंदिर, जहां भगवान शिव और पार्वती के विवाह का विश्वास है, विवाह आयोजन के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहा है, लेकिन अतिथि सुविधाओं और आयोजन प्रबंधन की कमी अब भी महसूस होती है।

इसे भी पढ़ें – आधुनिकता की दौड़ में खोती जा रही है उत्तराखंड की पर्वतीय पहचान, आंदोलनकारियों की चिंता

धार्मिक पर्यटन के साथ-साथ राज्य अब एडवेंचर और वेलनेस टूरिज्म को भी नई दिशा देने की तैयारी में है। घने वन, नदियां, झीलें, हिमाच्छादित पर्वत और योग परंपरा उत्तराखंड को ट्रैकिंग, स्कीइंग, पैराग्लाइडिंग, रिवर राफ्टिंग, योग और वेलनेस रिट्रीट्स के लिए आदर्श बनाते हैं। यदि राज्य सतत पर्यटन अवसंरचना और आधुनिक सुविधाओं को बढ़ावा देता है, तो इससे न केवल पर्यटकों का अनुभव बेहतर होगा बल्कि रोजगार और अर्थव्यवस्था दोनों को मजबूती मिलेगी।

Saurabh Negi

Share