उत्तराखंड में UCC के नियम उल्लंघन पर लगेगा 20 हजार तक का जुर्माना
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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के नियमों को प्रभावी रूप से लागू कर दिया गया है। इसमें विवाह, तलाक और लिव-इन रिलेशनशिप के पंजीकरण के साथ-साथ उत्तराधिकार से जुड़े मामलों के लिए भी शुल्क और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। नियमों का उल्लंघन करने पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना और दंड का प्रविधान किया गया है। इसके अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए निकाय, पंचायत, ब्लॉक और जिला प्रशासन स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।
विवाह पंजीकरण के नियम और शुल्क
UCC के तहत विवाह पंजीकरण के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है। विवाह को पंजीकृत कराने के लिए 250 रुपये शुल्क लिया जाएगा। यदि तत्काल पंजीकरण की आवश्यकता हो, तो इसके लिए 2500 रुपये शुल्क देना होगा। सामान्य परिस्थितियों में विवाह को 90 दिनों के भीतर पंजीकृत कराने पर 200 रुपये शुल्क लगेगा, जबकि 90 दिनों के बाद यह शुल्क बढ़कर 400 रुपये हो जाएगा। तीन महीने की अवधि पूरी होने पर अधिकतम 10,000 रुपये तक का शुल्क देना होगा।
तलाक पंजीकरण के नियम
तलाक के मामले में भी पंजीकरण के लिए शुल्क निर्धारित किया गया है। UCC के नियमों के अनुसार, तलाक और विवाह का अमान्य पंजीकरण कराने पर 250 रुपये शुल्क लगेगा। यदि पंजीकरण में देरी होती है, तो 90 दिनों के भीतर 200 रुपये और 90 दिन के बाद 400 रुपये देना होगा। अधिकतम विलंब शुल्क 10,000 रुपये तक हो सकता है।
उत्तराधिकार और वसीयत संबंधी नियम
उत्तराधिकार से जुड़े मामलों के लिए भी शुल्क निर्धारित किया गया है। UCC के नियम 12(7) के तहत, बिना वसीयत के उत्तराधिकार संबंधी कानूनी वारिस की घोषणा कराने के लिए 200 रुपये शुल्क तय किया गया है। वहीं, वसीयतनामा से जुड़ी उत्तराधिकार की जानकारी के पंजीकरण के लिए 250 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है।
लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण
उत्तराखंड में लागू नए UCC नियमों के तहत लिव-इन रिलेशनशिप के लिए भी पंजीकरण अनिवार्य किया गया है। इसके लिए 500 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। यदि निर्धारित समयावधि के बाद दोबारा जानकारी दर्ज करानी हो, तो 1000 रुपये का शुल्क देना होगा। लिव-इन रिलेशनशिप की पंजीकरण अवधि समाप्त होने पर 500 रुपये की अतिरिक्त धनराशि देनी होगी।
जुर्माने और दंड का प्रावधान
UCC के नियमों के तहत विवाह पंजीकरण में लापरवाही बरतने पर विलंब शुल्क 10,000 रुपये देना होगा। इसके अलावा, तलाक या विवाह पंजीकरण को निरस्त करने के लिए ज्ञापन प्रस्तुत करने में लापरवाही करने पर भी जुर्माने और सजा का प्रावधान किया गया है।
यदि कोई व्यक्ति किसी मामले में झूठी शिकायत दर्ज करता है और वह दूसरी बार ऐसा करता पाया जाता है, तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले किरायेदारों के लिए भी नियम सख्त किए गए हैं। किराए के मकान में रहने वाले लिव-इन जोड़ों के लिए प्रमाण पत्र अनिवार्य किया गया है। यदि मकान मालिक इस नियम का उल्लंघन करते हुए किराए पर रहने वालों के साथ समझौता करता है, तो उस पर 20,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा।
दस्तावेज प्राप्ति का शुल्क
UCC के तहत पंजीकरण के छह महीने तक प्रमाणित दस्तावेज प्राप्त करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। लेकिन निर्धारित समय सीमा बीतने के बाद वसीयतनामा, बयान घोषणा, कानूनी उत्तराधिकारी घोषणा, लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण, और विवाह पंजीकरण से संबंधित दस्तावेज प्राप्त करने के लिए 100 रुपये से 500 रुपये तक का शुल्क देना होगा।
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) के तहत विवाह, तलाक, लिव-इन रिलेशनशिप और उत्तराधिकार से जुड़े मामलों को सुव्यवस्थित करने के लिए सख्त नियम बनाए गए हैं। पंजीकरण में देरी या नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। खासतौर पर लिव-इन रिलेशनशिप और किरायेदारी से जुड़े मामलों में नियमों की अनदेखी करने वालों को आर्थिक दंड भुगतना पड़ेगा। जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी इन नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करेंगे।