वीर बाल दिवस पर बाल अधिकार आयोग का आयोजन, आठ बच्चों को किया गया सम्मानित

उत्तराखंड राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने वीर बाल दिवस के अवसर पर देहरादून के सर्वे चौक स्थित आईआरडीटी सभागार में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों — साहिबजादा अजीत सिंह, जुझार सिंह, जोरावर सिंह और फतेह सिंह — के अद्वितीय साहस और बलिदान को श्रद्धांजलि दी गई।
कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में साहस, नैतिक मूल्यों, आत्मसम्मान और बाल अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना रहा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने संदेश में कहा कि वीर बाल दिवस साहस, संकल्प और त्याग की अनुपम मिसाल है, जो देश की नई पीढ़ी को प्रेरणा देती है। इस अवसर पर हेमकुंड साहिब प्रबंधन ट्रस्ट के विद्यार्थियों ने गुरबाणी कीर्तन प्रस्तुत किया, जबकि बच्चों, शिक्षकों और अतिथियों ने सामूहिक रूप से वंदे मातरम का गायन किया।
कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि साहिबजादों का बलिदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध खड़े होकर उन्होंने मानवता और मूल्यों की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। मंत्री ने कहा कि वीर बाल दिवस यह संदेश देता है कि साहस और बलिदान उम्र के मोहताज नहीं होते। उन्होंने वीर बाल दिवस की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार भी जताया।
कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले आठ बच्चों को सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय स्तर की शूटिंग प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वैष्णवी सिंह, यामैर तोमर और योहाना तोमर को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। राज्य स्तर पर खेलों में सूरज देव वर्मा और सारलोंग हांसे, योग में अंकित पटेल, टेबल टेनिस में दानिराज त्रिपुरा और निबंध प्रतियोगिता में हेम्फु सारमोन अंग्थी को सम्मानित किया गया।
आयोग की अध्यक्ष डॉ. गीता खन्ना ने बच्चों को बाल अधिकार, बाल विवाह निषेध अधिनियम, पोक्सो अधिनियम और कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बच्चों के लिए 24 घंटे सक्रिय टोल फ्री हेल्पलाइन 1098 के बारे में भी बताया। उन्होंने साधु राम इंटर कॉलेज में संचालित आधुनिक गहन देखभाल केंद्र की सराहना की, जो भिक्षावृत्ति में शामिल और स्कूल छोड़ चुके बच्चों को पुनः शिक्षा से जोड़ने का कार्य कर रहा है।
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मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने बच्चों के अधिकार, कर्तव्य और नैतिक मूल्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और सशक्तिकरण समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। कार्यक्रम का समापन आयोग के सचिव डॉ. शिव कुमार बर्नवाल द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।



