उत्तराखंड विजिलेंस का पैटर्न बदला, अब केस दर्ज करने के बाद होगी गिरफ्तारी

उत्तराखंड के सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने 23 साल बाद अपनी कार्रवाई के तरीके में बड़ा बदलाव किया है। अब विजिलेंस शिकायत मिलने पर सबसे पहले रिश्वतखोर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करेगी और उसके बाद गिरफ्तारी करेगी। इससे पहले विजिलेंस का तरीका अलग था—पहले रंगेहाथ पकड़कर फिर मुकदमा दर्ज किया जाता था। इस बदलाव के साथ उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां विजिलेंस ईडी की तरह केस दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी करेगी।
पहले विजिलेंस ट्रैप टीम का गठन करती थी, जो शिकायत की गोपनीय जांच करती थी। आरोपी की रिश्वत मांगने की पुष्टि होने पर शिकायतकर्ता को रंग लगे नोट देकर भेजा जाता था। रिश्वत लेते ही टीम आरोपी को रंगेहाथ पकड़ती थी और फिर इंस्पेक्टर खुद वादी बनकर केस दर्ज करता था। अब नई व्यवस्था में मुकदमा पहले दर्ज होगा और वादी शिकायतकर्ता ही होगा। हालांकि जांच और आगे की कानूनी कार्रवाई पहले की तरह विजिलेंस द्वारा ही की जाएगी।
इस बदलाव के पीछे मई 2025 का एक मामला अहम वजह बना। हल्द्वानी सेक्टर की विजिलेंस टीम ने नैनीताल के मुख्य कोषाधिकारी दिनेश कुमार राणा और कोषागार के अकाउंटेंट बसंत कुमार जोशी को 1.20 लाख रुपये की रिश्वत के साथ गिरफ्तार किया था। यह मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा, जहां अदालत ने विजिलेंस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और पूछा कि जब ईडी जैसी एजेंसियां पहले मुकदमा दर्ज करती हैं तो विजिलेंस में देरी क्यों की जाती है। कोर्ट की टिप्पणी के बाद विजिलेंस ने अपनी कार्यप्रणाली बदल दी।
विजिलेंस निदेशक वी. मुरुगेश्वर के अनुसार, अब रिश्वतखोर को पकड़वाने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा और आधुनिक समय के अनुरूप विजिलेंस की कार्रवाई में कई बदलाव किए गए हैं। उनका कहना है कि यह बदलाव शिकायतकर्ता की सुरक्षा और कानूनी मजबूती, दोनों के लिए फायदेमंद साबित होगा।