सरकार बोली हर घर जल, जनता बोली झूठ! क्या जल जीवन मिशन बना घोटाला मिशन?

देहरादून, 9 जून 2025 – राज्य सरकार भले ही जल जीवन मिशन के तहत 99% घरों तक नल और जल पहुंचने का दावा कर रही हों, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे उलट है। उत्तराखंड स्वाभिमान मोर्चा ने आज सोमवार को राजधानी देहरादून स्थित जल निगम मुख्यालय पर जोरदार प्रदर्शन करते हुए सरकार के दावे को ‘भ्रामक और जमीनी हकीकत से कोसों दूर’ बताया। कई ग्रामीण और शहरी छेत्रों की महिलाएं खाली बर्तन लेकर जल निगम कार्यालय पहुंचीं और ‘पानी दो, जवाब दो’ के नारे लगाए। मोर्चा ने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका है, जहां नल तो लगाए गए लेकिन उनमें पानी नहीं आया। पहाड़ी क्षेत्रों के हजारों गांवों में आज भी बूंद-बूंद को तरस रहे लोग सरकार के इस 99% कवरेज दावे पर सवाल उठा रहे हैं।

राजधानी के बगल में पानी नहीं, फिर भी 99% दावा?
प्रदर्शनकारियों में शामिल अमिता कोटियाल जो सेलाकुई के वार्ड १ से हैं, उन्होंने बताया कि सिर्फ पहाड़ी गांव ही नहीं, बल्कि राजधानी देहरादून से सटे सेलाकुई जैसे औद्योगिक और घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भी जल संकट बना हुआ है। हमारा पिछले कई सालों से पानी ही नहीं है। सरकार ने नल तो लगा दिए लेकिन उसमे जल अभी तक नहीं आया है।

सेलाकुई की ही रहने वाली उमा देवी का कहना है कि उनके यहाँ तो नल तक नहीं लगा है पानी तो दूर की बात है। कब से आस थी कि पानी आयेगा लेकिन पानी आया ही नहीं।

नरेंद्रनगर से आये शीशपाल का कहना है कि नरेंद्र नगर विधानसभा में पाने के लिए कई योजनाओं के तहत लगभग १०० करोड़ खर्च हुआ है लेकिन आज तक पानी नहीं पहुंचा। लोग कई दिनों तक पानी नहीं आता और लोग नहाते नहीं। पहाड़ों की स्थिति बदतर है। श्रोत भी खत्म हो गए।
ऐसे में सरकार का यह दावा कि राज्य के लगभग सभी घरों में जल पहुंच चुका है—गंभीर सवालों के घेरे में है।
“जल जीवन नहीं, नल कमीशन मिशन” बना है योजना—मोहित डिमरी
अगर योजनाओं का फायदा लोगों को नहीं मिल रहा तो अधिकारियों की गलती है। और उनकी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की है। कुछ गांवों में काम हुआ लेकिन पानी नहीं सरकार और अधिकारी मिलकर भी गांवों तक पानी नहीं पहुंचा पाये हैं। पुराने योजनाओं में जो काम हुआ है उस काम को नई योजना में दिखाया गया है। पलायन के पीछे पानी एक वजह भी है। पानी न होने का कारण भ्रष्टाचार है। बैकलेस करने की संस्तुति है लेकिन ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया।
इस जल जीवन मिशन में काम भी गलत तरीके से हुआ है। किसी भी प्रोजेक्ट के तहत पहले ये देखा जाता है कि पानी श्रोत में है या नहीं उसके बाद उसमें लाइन बिछाई जाती है। और जल जीवन मिशन में इसके ठीक उल्टा हुआ है पहले लाइन बिछी फिर पानी देखा जा रहा है।
स्वाभिमान मोर्चा के महासचिव मोहित डिमरी ने आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन में ठेके की आड़ में अधिकारियों और कंपनियों की मिलीभगत से 450 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला हुआ है। उन्होंने कहा कि 800 करोड़ की 44 योजनाओं में से अकेले 372 करोड़ के काम हरियाणा की एक विवादित कंपनी को दे दिए गए, जबकि उत्तराखंड के स्थानीय ठेकेदारों की पूरी तरह अनदेखी की गई।
“कंपनी पर जांच के बावजूद उसे नया टेंडर क्यों?”
डिमरी ने बताया कि जिन कंपनियों पर निर्माण में अनियमितता, शर्तों के उल्लंघन और कार्य की धीमी प्रगति के आरोप हैं, उन्हीं को नए प्रोजेक्ट दिए जा रहे हैं। हल्द्वानी की 100 करोड़ की योजना भी उसी कंपनी को दी गई है जिस पर पहले ब्लैकलिस्ट की संस्तुति की जा चुकी है।
हर जिले में घोटाले, फिर भी चुप्पी क्यों?
पूर्व आईएएस एसएस पांगती, मनोज कोठियाल, पीसी थपलियाल जैसे वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि उत्तरकाशी, चमोली, टिहरी, पिथौरागढ़, चंपावत से लेकर अल्मोड़ा तक, लगभग हर जिले में पेयजल योजनाओं में घोटाले उजागर हुए हैं। चमोली के थराली में तो डेढ़ किमी पाइपलाइन ही गायब पाई गई।
मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन, दी आंदोलन की चेतावनी
प्रदर्शनकारियों ने जल निगम के मुख्य अभियंता संजय सिंह से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा और मुख्यमंत्री को भी एसडीएम स्मिता परमार के माध्यम से ज्ञापन भेजा गया। मोर्चा ने चेताया कि अगर भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों और कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हुई तो प्रदेशभर में जनांदोलन शुरू किया जाएगा।