उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों से बढ़ी वन्यजीवों की संख्या

उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों से बढ़ी वन्यजीवों की संख्या

उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण के तहत उठाए गए कदमों के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं। राज्य में बाघ, तेंदुआ, हाथी और अन्य वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है। वन विभाग द्वारा वास स्थलों में सुधार, जल प्रबंधन, इको ब्रिज निर्माण और सुरक्षा बलों की तैनाती जैसे प्रयास किए जा रहे हैं।

राजाजी टाइगर रिजर्व में जल प्रबंधन के सफल प्रयास

राजाजी टाइगर रिजर्व (RTR) में जल प्रबंधन की चुनौती को दूर करने के लिए पांच साल पहले ‘वेल, वाटर होल्स और वाइल्ड लाइफ मॉडल’ लागू किया गया था। इस मॉडल के तहत धौलखंड और चिल्लावाली रेंज में 9 कुओं का निर्माण किया गया और ग्रेविटी तकनीक से 35 वाटर होल्स (कृत्रिम जलाशय) को इनसे जोड़ा गया। इससे जंगलों में पानी की उपलब्धता बढ़ी, जिससे हिरन, तेंदुआ और अन्य वन्यजीवों की संख्या में इजाफा हुआ। अब इसी मॉडल को राजाजी टाइगर रिजर्व की मोतीचूर, रवासन और चीला रेंज में भी लागू करने की योजना है। इसके अलावा, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भी इस व्यवस्था को अपनाने की तैयारी की जा रही है।

इको ब्रिज से वन्यजीवों की सुरक्षा

वन्यजीवों को सड़क हादसों से बचाने के लिए वन विभाग ने कई स्थानों पर इको ब्रिज बनाए हैं। रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत कालाढूंगी-नैनीताल मार्ग और फतेहपुर रेंज में पहले ही इको ब्रिज का निर्माण किया जा चुका है। अब हल्द्वानी वन प्रभाग के तहत हल्द्वानी-टनकपुर रोड पर भी एक नया इको ब्रिज बनाया गया है। ये पुल वृक्षवासी बंदरों, गिलहरियों और सरीसृपों को सुरक्षित आवागमन में मदद करेंगे। साथ ही, इनसे पर्यटकों और स्थानीय लोगों में वन्यजीव संरक्षण को लेकर जागरूकता भी बढ़ेगी।

वनों की सेहत सुधारने की योजना

वन विभाग न केवल नए पौधरोपण कर रहा है, बल्कि पुराने अवनत वनों को भी उनके मूल स्वरूप में लाने की योजना पर काम कर रहा है। इसके तहत आठ साल की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें वास स्थल सुधार समेत अन्य प्रयास किए जाएंगे। प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन के अनुसार, राज्य के जंगलों की सेहत सुधारने के लिए कई नए कदम उठाए जा रहे हैं।

स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की तैयारी

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए डेढ़ दशक पहले स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स बनाने की योजना बनी थी, लेकिन तकनीकी कारणों से यह संभव नहीं हो सका। अब वन विभाग ने इस योजना को पुनः शुरू किया है और इस साल भर्ती प्रक्रिया पूरी करने के लिए अधियाचन भेज दिया गया है। इसके अलावा, हाल के वर्षों में राज्य में 2,155 वन आरक्षियों, 325 वन दरोगा, 46 रेंजर और 45 एसडीओ की भर्ती कर जंगल की सुरक्षा को और मजबूत किया गया है।

उत्तराखंड में वन्यजीवों की संख्या में वृद्धि

वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के चलते उत्तराखंड में बाघों, तेंदुओं और हाथियों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

  • टाइगर: 2006 में राज्य में 178 बाघ थे, जबकि 2022 में इनकी संख्या बढ़कर 560 हो गई।
  • हिम तेंदुआ: भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार, उत्तराखंड में 124 हिम तेंदुए हैं।
  • हाथी: 2001 में राज्य में 1,507 हाथी थे, जो 2020 में बढ़कर 2,026 हो गए।
  • तेंदुआ: 2022 में राज्य में तेंदुओं की संख्या 3,115 दर्ज की गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में 33% अधिक है।

वन विभाग की विभिन्न योजनाओं से न केवल वन्यजीवों की संख्या बढ़ी है, बल्कि उनके संरक्षण और सुरक्षा के लिए भी मजबूत व्यवस्था की गई है। आने वाले समय में ये प्रयास राज्य में जैव विविधता को और सुदृढ़ करने में सहायक होंगे।

Saurabh Negi

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