क्षतिपूरक पौधरोपण के लिए जमीन की कमी, उत्तराखंड की सड़क परियोजनाएं अटकीं
उत्तराखंड में सड़कों और अवस्थापना परियोजनाओं के निर्माण के लिए जरूरी क्षतिपूरक पौधरोपण के लिए सिविल सोयम की जमीन नहीं मिल रही है। इस कारण राज्य में कई सड़कों और अन्य परियोजनाओं के प्रस्ताव लंबित हो गए हैं। केंद्र सरकार द्वारा वन भूमि पर पौधरोपण की अनुमति न मिलने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर ब्रेक लग सकता है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
2023 में केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए नए वन संरक्षण और संवर्धन नियमों के तहत राज्य की अधिसूचित आरक्षित व संरक्षित वन भूमि पर क्षतिपूरक पौधरोपण नहीं किया जा सकता, जो कि राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। पहले 2017 में यह अनुमति दी गई थी, लेकिन नए नियमों ने इस पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार अब 2017 की व्यवस्था को यथावत रखने की मांग कर रही है, ताकि परियोजनाओं को आगे बढ़ाया जा सके।
सड़कों और परियोजनाओं पर पड़ेगा असर
वन संरक्षण अधिनियम के सख्त प्रावधानों के कारण सड़कों और परियोजनाओं की स्वीकृति की दर धीमी हो गई है। कुछ उदाहरण इस बात की पुष्टि करते हैं:
- मतदान का बहिष्कार: लोकसभा चुनाव में 35 से अधिक गांवों के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया क्योंकि उनके गांवों को वन भूमि के कारण सड़कों से नहीं जोड़ा जा सका।
- पौड़ी में 200 सड़कें लंबित: पौड़ी लोकसभा क्षेत्र में 200 से अधिक सड़कों के प्रस्ताव वनीय स्वीकृति के अभाव में अटके हुए हैं। सांसद अनिल बलूनी को इन सड़कों की स्वीकृति के लिए केंद्रीय मंत्री से संपर्क करना पड़ा है। अन्य जिलों जैसे अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली, और बागेश्वर में भी स्थिति ऐसी ही है।
- सतपुली से श्रीनगर तक डबल लेन सड़क: इस सड़क के लिए 31.962 हेक्टेयर वन भूमि की सैद्धांतिक स्वीकृति रीजनल इम्पावर्ड कमेटी ने इस शर्त के साथ वापस ले ली कि सरकार गैर वन भूमि या दोगुनी सिविल सोयम का प्रस्ताव प्रतिपूर्ति पौधरोपण के साथ प्रस्तुत करेगी, जिससे इस परियोजना पर भी संकट आ गया है।
- सामरिक महत्व की सड़कें: वन संरक्षण कानून के सख्त प्रावधानों के कारण सामरिक महत्व की सड़कों के प्रस्ताव भी लंबित हैं। चमोली, पिथौरागढ़ और उत्तरकाशी में कई सड़कों के प्रस्ताव इसलिए अटके हुए हैं क्योंकि वनीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
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राज्य में सिविल सोयम की भूमि की कमी को देखते हुए दूसरे विकल्पों पर भी विचार किया जा रहा है। प्रमुख सचिव, वन एवं राजस्व आरके सुधांशु ने बताया कि सभी जिलाधिकारियों को लैंड बैंक बनाने के निर्देश दिए गए हैं, और राज्य के बाहर भूमि खरीदने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है।